Parsi new year 2025 : आखिर क्यों है खास नवरोज का त्यौहार, जाने इसे मानाने की तिथि, महत्व और सार

अमृत विचार। आज पारसी का नवर्ष का त्यौहार नवरोज कि शुरुआत हो गई है। यह त्यौहार नए साल का प्रतिक और प्रकृर्ति के पुनर्जन्म एवं नवीनीकरण का प्रतिक माना गया है। आज से नवरोज का आगाज़ हो गया है। नवरोज का मतलब "नया दिन", और इसे बसंत के आगमन से भी जोड़ा जाता है। यह दिन सिर्फ फारसी समुदायो में ही नहीं बल्कि दुनियभर में कई अन्य समुदायों में मनाया जाता है।
कब और क्यों मनाया जाता है नवरोज
20 मार्च 2025 को सुबह 5 बजे और दोपहर 2 बजे इसे मनाया जाता है मान्यता है कि जब रत और दिन एक सामान होते है तो इसका आरभ होता है। इसे मुख्य रूप से ईरान तजाकिस्तान अजरबैजान अफगानिस्तान और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। दुनियाभर से कई लोग इस दिन को महत्वपूर्ण मानते है और पारम्परिक रीती रिवाज़ो से मानते हैं।
नवरोज का है सांस्कृतिक महत्त्व
नवरोज लोगों के लिए नए साल का उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। आपको बता दें कि नवरोज को यूनेस्को द्वारा एक सांस्कृतिक धरोहर माना गया है। यह उत्सव फ़ारसी कैलेंडर में नए वर्ष कि शुरुआत को दर्शाता है और प्रकति के महत्व को भी दर्शाता है। यह दिन आशा और समृद्धि का प्रतिक है , जो जीवन में नए अवसरों को लेकर आता है। ये एक तरह से जीवन के नए अध्याय का प्रतिक है। जहा लोग अपने दुःख भूल कर नए साल का खुशी-खुशी स्वागत करते है।
इस उत्सव के दौरान सभी अपने परिवारों के साथ मिलकर घरो कि साफ़ सफाई करते है। इसे 'खानेह टेकानी' कहा जाता है। इसे खास बनाने के लिए कई तरह कि पारम्परिक रीती रिवाज से एक प्रमुख परंपरा 'हफ़्त सिन' टेबल की स्थापना की जाती है इस टेबल पर 7 प्रकार की वस्तु राखी जाती है। जो फ़ारसी अक्षर S से शरू होती है। इन वस्तुओं का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। जो नए साल पर सुख-समृद्धि, खुशहाली अच्छे स्वस्थ जीवन की कामना करते है।
हफ़्त सिन' टेबल पर सेब, सरसो का तेल, पानी (Serkeh), दही (Samanu), सौंफ, अखरोट (Somāq), प्याले में पानी और सोने की मछली चीज़ो को रखकर प्रार्थना की जाती है। इन सभी को टेबल पर रखने के अपने अलग-अलग महत्व है। इनके अलावा मिठाईया और खाने पीने की चीज़ो को भी शामिल किया जाता है।
इस दिन को लोग अपने पारम्परिक खेल, नाच गाना, और अलग अलग प्रकार की सामूहिक गतिविधियो से पूर्ण करते है जो इसको और भी खास बनती है। परिवार मित्र और बच्चे अभी एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। इस उत्सव को अगले १३ दिनों के लिए मनाया जायेगा। और फिर 13 वे दिन पर 'सिज़दाह बेदार' का आयोजन होता है। जब लोग एक बार फिर एकत्रित होकर अपने दुखो को दूर करने के लिए साथ आते है।
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