गोरखपुर: योगी के निकटतम प्रतिद्वंद्वी का चेहरा 10 मार्च को आएगा सामने

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावी समर में पहली बार उतरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण चर्चा में आयी गोरखपुर शहर सीट को फतह करना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) औपचारिकता मात्र मान रही है हालांकि इस वीआईपी सीट के 10 मार्च को आने वाले नतीजों में यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी के आसपास पहुंचने …
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावी समर में पहली बार उतरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण चर्चा में आयी गोरखपुर शहर सीट को फतह करना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) औपचारिकता मात्र मान रही है हालांकि इस वीआईपी सीट के 10 मार्च को आने वाले नतीजों में यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी के आसपास पहुंचने की हिम्मत किस पार्टी के उम्मीदवार की होगी।
गोरखपुर शहर सीट पर चुनाव इस बार कई मायनों में खास है। पहला तो यह कि पिछले दो दशक के बाद यह पहला अवसर है, जब मुख्यमंत्री के कुर्सी पर रहते हुए कोई प्रत्याशी विधानसभा का चुनाव लड़ रहा है। इसके पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और स्वयं योगी आदित्यनाथ विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। इससे पहले करीब 20 साल पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ा था।
इस चुनाव में गोरखपुर जिले की गोरखपुर शहर विधानसभा की यह सीट प्रतिष्ठा का विषय इसलिए भी बन गयी है क्योंकि यहां से चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख उम्मीदवार पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चन्द्र शेखर आजाद रावण, सपा की सुभावती शुक्ला और बसपा के उम्मीदवार ख्वाजा समसुददीन सभी के लिये यह पहला विधानसभा चुनाव है।
हालांकि प्रतिद्धंदियों को इस बात का आभास है कि उनकी लड़ाई भाजपा के महारथी योगी से है। चन्द्र शेखर आजाद रावण ने गुरुवार को आरोप लगाते हुए एक बार फिर आशंका जाहिर की कि इस विधानसभा चुनाव में भी सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग हो सकता है और पंचायत चुनाव जैसी घटनाएं फिर घटित हो सकती है।
यह भी पढ़ें:-वाराणसी में आज फिर हो सकती है बारिश, प्रदूषण से मिलेगी राहत