पेगासस जासूसीः तकनीकी जांच कमेटी की लोगों से अपील, आठ फरवरी तक अपनी शिकायतें भेजें

पेगासस जासूसीः तकनीकी जांच कमेटी की लोगों से अपील, आठ फरवरी तक अपनी शिकायतें भेजें

नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कथित पेगासस जासूसी मामले की छानबीन कर रही तकनीकी जांच कमेटी ने लोगों से अपील की है कि जिन्हें अपने मोबाइल फोन के जरिये जासूसी का संदेह हैं, वे उचित कारण बताते हुए आठ फरवरी तक अपना पक्ष कमेटी के समक्ष रख सकते हैं। तकनीकी कमेटी के सदस्यों- …

नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कथित पेगासस जासूसी मामले की छानबीन कर रही तकनीकी जांच कमेटी ने लोगों से अपील की है कि जिन्हें अपने मोबाइल फोन के जरिये जासूसी का संदेह हैं, वे उचित कारण बताते हुए आठ फरवरी तक अपना पक्ष कमेटी के समक्ष रख सकते हैं।

तकनीकी कमेटी के सदस्यों- प्रो. नवीन चौधरी, प्रो. अश्विनी गुमस्ते और प्रो. पी. प्रबाहरण के हवाले से गुरुवार को समाचार पत्रों में जारी एक विज्ञापन में ये अपील की गई है। विज्ञापन में कहा गया है कि जिन लोगों को अपने मोबाइल जासूसी सॉफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी के संदेह हैं, वे पर्याप्त कारणों का जिक्र करते हुए कमेटी के समक्ष अपनी बात ईमेल के माध्यम से रख सकते हैं।

कमेटी संबंधित व्यक्ति/ व्यक्तियों को अपने मोबाइल फोन आवश्यक जांच के लिए कमेटी के समक्ष जमा कराने के लिए कह सकती है। कमेटी जांच के बाद उनके मोबाइल फोन लौटा देगी। विज्ञापन में यह भी कहा गया है कि इससे पहले दो जनवरी को इसी प्रकार का विज्ञापन जारी किया गया था। इसके बाद सिर्फ दो लोगों ने अपने मोबाइल फोन तकनीकी कमेटी के समक्ष जांच के लिए प्रस्तुत किए हैं।

पेगासस मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने 27 अक्टूबर 2021 को एक तकनीकी जांच कमेटी गठित की थी। इसकी अध्यक्षता का जिम्मा उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. वी. रविंद्रन को दी गई थी।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी आलोक जोशी तथा डॉ संदीप ओबरॉय को न्यायमूर्ति रविंद्रन का सहयोग करने के लिए सदस्य बनाया गया है। इस कमेटी को आठ सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। पीठ ने कहा था कि न्यायमूर्ति रविंद्रन की देखरेख में साइबर एवं फॉरेंसिक विशेषज्ञों की तीन सदस्यों वाली एक तकनीकी जांच कमेटी पूरे मामले की छानबीन करेगी।

पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि न्यायमूर्ति रविंद्रन की अध्यक्षता वाली कमेटी की देखरेख में तकनीकी जांच कमेटी के सदस्य के तौर पर प्रो. गुमस्ते, प्रो. चौधरी और प्रो. प्रबाहरण तकनीकी पहलुओं की छानबीन करेंगे। प्रो. चौधरी, (साइबर सिक्योरिटी एंड डिजिटल फॉरेसिक्स), डीन- नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर गुजरात), प्रो. प्रबाहरण (स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग) अमृत विश्व विद्यापीठम, अमृतपुरी, केरल और डॉ गुमस्ते, इंस्टिट्यूट चेयर एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुंबई से हैं।

यह मामला इजरायल की निजी कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाए गए पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भारत सरकार द्वारा कथित तौर पर खरीदने से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि इस सॉफ्टवेयर को भारत समेत दुनिया भर के बड़ी संख्या में लोगों के स्मार्ट मोबाइल फोन में गुप्त तरीके से डालकर उनकी बातचीत की जासूसी की गई।

भारत सरकार पर सॉफ्टवेयर को खरीद कर यहां के अनेक जाने-माने राजनीतिज्ञों, खासकर विपक्षी दलों के नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अधिकारियों की अवैध तरीके से जासूसी करने के आरोप हैं। केंद्र सरकार के इजरायल से पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर की कथित खरीद मामले में एक विदेशी अखबार के हालिया खुलासे के मद्देनजर 30 जनरी 2022 को उच्चतम न्यायालय में एक नई जनहित याचिका दायर की गई थी।

इस मामले में पहली जनहित याचिका करने वाले वकील एम. एल. शर्मा ने यह याचिका दायर कर आरोपियों पर शीघ्र प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने की गुहार मुख्य न्यायाधीश से लगायी है। श्री शर्मा का कहना है, “अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई द्वारा अपनी जांच में पुष्टि तथा न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा उसे प्रकाशित किए जाने के बाद अब इस मामले में क्या खुलासा होना रह गया है? इस मामले में संबंधित आरोपियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर आगे की जांच की जानी चाहिए।

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