UP Elections 2022 : रामपुर में पिता तो स्वार-टांडा में बेटों के बीच चुनावी जंग

अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। जिले की राजनीति के इतिहास में पहली बार ऐसी चुनावी बिसात बिछ चुकी है, जिसमें एक-दूसरे की धुर विरोधी दो पीढ़ियां आमने-सामने होंगीं। ऐसा पहला मौका होगा जब शहर में सपा के कद्दावर नेता सांसद आजम खां को नवाब खानदान के वंशज नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां चुनौती देंगे। तो …
अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। जिले की राजनीति के इतिहास में पहली बार ऐसी चुनावी बिसात बिछ चुकी है, जिसमें एक-दूसरे की धुर विरोधी दो पीढ़ियां आमने-सामने होंगीं। ऐसा पहला मौका होगा जब शहर में सपा के कद्दावर नेता सांसद आजम खां को नवाब खानदान के वंशज नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां चुनौती देंगे। तो दूसरी तरफ आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम को नवेद मियां के बेटे नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां टक्कर देने को उतर चुके हैं। एक तरफ दोनों युवाओं के पिता आमने सामने हैं तो दूसरी तरफ उनके बेटे मैदान में डटे हैं। इस रोचक लड़ाई का नतीजा क्या रहेगा, यह तो मतदाओं के रुख पर निर्भर होगा।
ये भी पढ़ें : यह रहा रामपुर रियासत की राजनीतिक ‘खेल’, विचारधारा कभी नहीं खाई ‘मेल’
रामपुर शहर से नौ बार विधायक रह चुके आजम खां, मौजूदा समय में सांसद हैं और कई मामलों में सीतापुर जेल में बंद हैं। जब-जब सपा की सरकार रही, वह हैसियतदार मंत्री के तौर पर रहे हैं। अपनी राजनीति की शुरुआत उन्होंने बीड़ी मजदूरों के हक की लड़ाई और रजा टैक्सटाइल्स मजदूरों के हित में आंदोलन करके की थी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के बड़े पदाधिकारी भी रह चुके हैं। आजम खां ने हमेशा रामपुर के नवाबों को निशाने पर लेकर राजनीति की है। इस बार वह जेल में रहकर ही शहर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं तो दूसरी तरफ नवाबों के वंशज नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां कांग्रेस से उनके मुकाबले मैदान में हैं। नवेद मियां भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं।
ये भी पढ़ें : राजनीति के गढ़ रहे हैं ‘कोठी खास बाग’ और ‘नूर महल
उनके पिता नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां पांच बार सांसद रहे तो मां बेगम नूरबानो भी दो बार सांसद रही हैं। खुद नवेद मियां पांच बार विधायक रह चुके हैं। एक बार राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। राजनीति के दो दिग्गजों के बीच आमने-सामने की यह पहली बार लड़ाई हो रही है। इससे पहले दोनों जिले की अलग अलग सीटों से चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं। यह मुस्लिम बाहुल्य सीट है। इस पर भाजपा ने आजम खां के खिलाफ तमाम मुकदमे कराके उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है। इस तरह से हर तरफ से आजम खां की घेराबंदी की गई है।
आजम और अब्दुल्ला को खुली चुनौती दे चुके हैं हमजा मियां
स्वार-टांडा विधान सभा क्षेत्र से सपा से एक बार फिर अब्दुल्ला आजम मैदान में हैं। पिछले चुनाव में अब्दुल्ला करीब 53 हजार वोटों से जीते थे। युवाओं में उनका अच्छा क्रेज था। 2017 के चुनाव में नवाब काजिम अली खां बसपा से मैदान में उतरे थे। हालांकि नवेद मियां तीसरे स्थान पर रहे थे। नवेद मियां ने अब्दुल्ला आजम खां के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचाया था। जिसमें अब्दुल्ला की 16 दिसंबर 2019 को विधायकी हाईकोर्ट ने रद कर दी थी। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के कारण उपचुनाव नहीं हो सका था। करीब ढाई साल तक सीट रिक्त रही। इस बार फिर अब्दुल्ला मैदान में हैं। तो इन्हें चुनौती देने के लिए नवाब काजिम अली खां के बेटे नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां मैदान में उतरे हैं। पहले हमजा कांग्रेस से प्रत्याशी घोषित किए गए थे। बाद में भाजपा के सहयोगी अपना दल एस में शामिल होकर हमजा ने टिकट प्राप्त कर लिया है। इस सीट पर भाजपा का प्रत्याशी नहीं होगा। इस तरह हमजा अब्दुल्ला को चुनौती देने के लिए पूरी तरह डट चुके हैं। अब्दुल्ला यहां सहानुभूति वोट प्राप्त करने के लिए कोशिश कर रहे हैं तो हमजा मियां आजम खां के कारनामे गिनाकर वोट मांगे रहे हैं।