पीलीभीत: नेताओं के वादे के बाद भी नहीं चल सकी मझोला चीनी मिल

पीलीभीत: नेताओं के वादे के बाद भी नहीं चल सकी मझोला चीनी मिल

पीलीभीत, अमृत विचार। दशकों तक जनपद की सबसे बेहतर कही जाने वाली मझोला सहकारी चीनी मिल एक दशक से अधिक समय से बंद है। इससे जुड़े 1300 परिवारों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया। परिवार के भरण पोषण के भी लाले पड़ गए। नतीजतन नेताओं के आश्वासन और वादों पर पहले लोग आस लगाए रहे …

पीलीभीत, अमृत विचार। दशकों तक जनपद की सबसे बेहतर कही जाने वाली मझोला सहकारी चीनी मिल एक दशक से अधिक समय से बंद है। इससे जुड़े 1300 परिवारों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया। परिवार के भरण पोषण के भी लाले पड़ गए। नतीजतन नेताओं के आश्वासन और वादों पर पहले लोग आस लगाए रहे और जब नेता वादों पर खरे नहीं उतर पाए तो मजबूरन 90 फीसदी कार्मिक परिवार के साथ पलायन कर गए।

बाकी बच गए उनकी भी मुसीबत कम नहीं रही। चीनी मिल को चलवाने के लिए इस साल भी खूब राजनीति चमकाई गई। लीज पर मिल चलवाने की बात कही, लेकिन इस बार भी ये सिर्फ नेताओं की बयानबाजी तक ही सीमित रह गया। अभी भी मिल चलवाने को किसान और मजदूर यूनियन से जड़े नेताओं का पत्राचार और धरना प्रदर्शन जारी है।

उत्तराखंड सीमा पर स्थित सहकारिता क्षेत्र मझोला चीनी मिल की स्थापना 70 के दशक में हुई थी। उस वक्त मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी का कार्यकाल था। लंबे समय तक ये चीनी मिल पूरे जनपद की सबसे अच्छी चीनी मिल की गिनती में शुमार थी। सीमावर्ती इलाका होने की वजह से उत्तराखंड के बड़ी संख्या में किसान गन्ना लेकर पहुंचते थे। कार्मिकों के करीब 1300 परिवार थे। इसका सीधा असर मझोला के व्यापार पर भी था। साल 2009-10 में चीनी मिल बंद हो गई।

इसके बंद होने के पीछे मिल का भारी घाटे में जाना मुख्य वजह बताया गया था। बस इसी के बाद से बंद पड़ी मझोला चीनी मिल चुनावी मुद्दों में शुमार हो गई। स्थानीय नेता वोट हासिल करने के लिए इसे दोबारा चालू कराने को हर संभव प्रयास करने का दावा करने में जुट गए। मिल के कर्मचारी नेताओं ने भी बड़े-बड़े आंदोलन किए। मगर, आश्वासन की घुट्टी के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिल सका। नतीजतन कई साल बीतते चले गए और यहां काम करने वाले कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति बनती चली गई। परिवार चलाना भी उन्हें मुश्किल हो गया। जब चीनी मिल चलने की आस मिटने लगी और परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी ने घेरा तो अधिकांश कार्मिक परिवार समेत पलायन कर गए।

भाजपा के सदर विधायक संजय सिंह गंगवार ने इस साल इस मिल को चलवाने की जमकर पैरवी की। कैबिनेट में प्रस्ताव रखे जाने की बात आई और शासन स्तर से भी अफसरों की आवाजाही बढ़ी। मगर, मिल चालू होने के नाम पर सिर्फ सर्वे ही हो सके। साल की शुरुआत में यह भी माना गया कि हो सकता है कि चीनी मिल लीज पर देकर चलवाई जाए, लेकिन ये भी नहीं हो सका है। वर्तमान में भी कुछ किसान नेताओं ने धरना प्रदर्शन शुरू किया है। लेकिन मिल के न चल पाने से किसान ही नहीं, मझोला के व्यापारी भी नाखुश हैं।

मझोला चीनी मिल बंद होने से किसानों के साथ ही व्यापारियों का नुकसान हो चुका है। चीनी मिल कर्मचारियों को काफी क्षति उठानी पड़ी है। ऐसे में चीनी मिल का चलना अति-आवश्यक है। मझोला का विकास भी इससे जुड़ा है। व्यापारियों को व्यापार, किसानों को चीनी मिल और मजदूरों को काम मिलेगा। -सत्य प्रकाश शुक्ला, मजदूर नेता, चीनी मिल मझोला

मझोला चीनी मिल बंद होने से सिर्फ नुकसान हुआ है। मिल में काम करने वाले कर्मचारियों से रोजगार छिन गया। जब से मझोला चीनी मिल बंद हुई है हम लोग तभी से चालू कराने के प्रयास में लगे हैं। किसानों के हक में मिल चलना जरूरी है। व्यापारी और कर्मचारी तभी खुशहाल हों सकेंगे। – सुखराम, किसान नेता

चीनी मिल का चलना किसान हित में है। उत्तराखंड के किसान भी यहां से जुड़े थे। अब सभी को दिक्कत होती है। सैकड़ों परिवारों से रोजगार छिन गया। कस्बे के बाजार पर भी बड़ा असर पड़ा। किसानों के हित को देखते हुए उसे चलना चाहिए। – करणवीर सिंह, किसान नेता

जो कुछ कांग्रेस ने बनाया है।उसे बेचने का ठेका भाजपा सरकार के पास है। भाजपा वाले तो चलती चीनी मिलें भी बेच देंगे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो चीनी मिल को चालू कराया जाएगा।भाजपा सिर्फ बेचना जानती है। – हरप्रीत सिंह चब्बा, जिलाध्यक्ष कांग्रेस

देश कृषि प्रधान है। जनपद की मुख्य फसल भी गन्ना है। उसके बाद भी मझोला चीनी मिल लंबे समय से बंद पड़ी है। किसानों के हित को देखते हुए चीनी मिल को चलना चाहिए। इसमें जुमलेबाजी से काम नहीं चलेगा।वास्तविकता पर काम करें। – चंद्रशेखर आजाद, जिलाध्यक्ष बसपा

सरकार बनी तो कराएंगे चालू
पीलीभीत सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह जग्गा।समाजवादी पार्टी किसानों की पार्टी है। किसानों के सुखदुख में पार्टी हमेशा खड़ी रही है। इसे चलवाने की मांग किसान कर रहे हैं। अबकी बार सपा सरकार बनने पर प्राथमिकता पर मझोला चीनी मिल को चालू कराया जाएगा।
– जगदेव सिंह जग्गा, जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी

मिल को चालू कराने के लिए काफी प्रयास किए गए थे। कैबिनेट में भी इसे पास किया गया था। टेंडर मांगे गए थे। मगर, कोविड का असर रहा। मिल तो चलनी ही है। लगातार प्रयास चल रहा है।दोबारा सरकार में आएंगे और शुरूआत में ही बाकी बचे कामों को पूरा कराकर मिल को प्राथमिकता पर चलवाएंगे। – संजय सिंह गंगवार, शहर विधायक भाजपा

मझोला चीनी मिल चलवाने के पूरे प्रयास योगी सरकार ने किए। दिल्ली से आकर एक कंपनी ने इसका सर्वे भी किया था। पीलीभीत में मुख्यमंत्री का दौरा जल्द लगने वाला है। उसमें इसकी मांग रखी जाएगी। बसपा सरकार में मिल बंद हुई, भाजपा में शुरू होगी। – संजीव प्रताप सिंह, जिलाध्यक्ष, भाजपा