मिशन 2022: जातीय समीकरण साधने के लिए क्षेत्रवार वोटरलिस्ट खंगालेंगे सपाई

मिशन 2022: जातीय समीकरण साधने के लिए क्षेत्रवार वोटरलिस्ट खंगालेंगे सपाई

लखनऊ। जातीय आधार पर जनगणना कराने की मांग कई सियासी पार्टियां कर रही हैं। समाजवादी पार्टी तो पहले से ही इस मुद्दे पर मुखर है। भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके सरकार में शामिल अपना दल एस की लीडर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी बराबर जातिवार जनगणना की वकालत कर रही हैं। संसद से …

लखनऊ। जातीय आधार पर जनगणना कराने की मांग कई सियासी पार्टियां कर रही हैं। समाजवादी पार्टी तो पहले से ही इस मुद्दे पर मुखर है। भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके सरकार में शामिल अपना दल एस की लीडर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी बराबर जातिवार जनगणना की वकालत कर रही हैं। संसद से लेकर सडक़ तक हर मंच से अनुप्रिया पटेल बड़ी बेबाकी से इस मुद्दे को उठाती आयी हैं। बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड के सर्वेसर्वा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातीय जनगणना के पक्षधर हैं। आज उनके नेतृत्व में 11 दलों के प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इसी मुद्दे को लेकर भेंट का कार्यक्रम था।

सरकार जातीय जनगणना करायेगी या नहीं, यह तो सरकार जाने। लेकिन चुनाव में जातीय समीकरण साधने के लिये क्षेत्रवार जातीय आंकलन अघोषित रूप से हर दल अवश्य करना चाहता है। टिकट वितरण का भी परोक्ष रूप से आधार जातीय ही होता है। कहावत है कि थी के दांत खाने के और दिखाने के और होते हैं। यह आज की राजनीति में तो बिलकुल सटीक है। समाजवादी पार्टी ने मिशन -2022 को लेकर अपने फार्मूले पर काम शुरू कर दिया है। चुनाव जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने नए नए फार्मूले ढूंढते हैं।

समाजवादी पार्टी ने ऐसा फार्मूले निकाला है जिससे बीजेपी खेमे में बेचौनी स्वाभाविक है। बीजेपी की पन्ना कमेटी हर घर तक पहुँचेगी तो सपा के कार्यकर्ता भी वोटरलिस्ट खंगालने का काम करेंगे। समाजवादी पार्टी की नजर 403 विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट पर है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी अब हर विधानसभा और हर गांव की वोटर लिस्ट को देखेगी। किस जाति के कौन से लोग किस गांव में रहते हैं। उन जातीय समीकरणों को भी समाजवादी पार्टी देखेगी कि विधानसभा के हर गांव में कुल कितने वोटर है और किस जाति के हैं। वहां पर कौन सा समीकरण फिट बैठ रहा है।

जातिगत समीकरण क्या है, वहां का जमीनी मुद्दा क्या है। इन समीकरणों को ठीक करने के बाद पार्टी टिकट फाइनल करेगी। बताते हैं कि पहले भी यह काम होता था, मगर अब हालात भिन्न हैं। अब यह काम सिस्टमैटिक तरीके से किया जाएगा जिससे आंकड़े और समीकरण स्पष्ट हो सके। बीजेपी की टीम इस काम में पहले से लगी है ,उसके पास बूथ लेबल तक कमेटियां हैं। उन्हें जातीय जानकारी है मगर जातीय जनगणना के मुद्दे पर मौन है। समाजवादी पार्टी का यह फार्मूला मिशन 2022 में क्या रंग दिखा पायेगा, यह तो भविष्य का विषय है और निर्णायक मतदाता होंगे।

अखिलेश खुद बना रहे विधायकों की रिपोर्ट
समाजवादी पार्टी 2022 को किसी भी कीमत पर अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहती है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी ग्राउंड जीरो पर दिखाई दे रही है। अखिलेश अपने सहयोगी दलो को भी जमीन पर उतारे हुए हैं। विधायक और विधायकों का रिपोर्ट कार्ड खुद अखिलेश यादव बना रहे हैं। अखिलेश हर विधानसभा में पूरी समीक्षा के साथ और पूरे समीकरण को ध्यान में रखते हुए विधायकों का रिपोर्ट कार्ड बना रहे हैं। यह भी देख रहे हैं कि जो प्रत्याशी इसके पहले विधायक रह चुका है उसने अपने विधानसभा में कितना काम किया है और उससे उसकी विधानसभा की जनता कितना प्रसन्न है और जुड़ी हुई है।

इस बार समाजवादी पार्टी बहुत ही सोच समझकर और तमाम समीक्षा बैठकों के बाद ही एक-एक विधानसभा का टिकट फाइनल करेगी। अखिलेश के करीबियों की माने तो अखिलेश यादव टिकट बंटवारे को लेकर इस बार बिल्कुल भी ढिलाई बरतने वाले नहीं है। अखिलेश यादव पिछले कई महीनों से अलग-अलग विधानसभाओं का कई बार समीक्षा कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार 1-1 विधानसभा से अभी तक समाजवादी पार्टी को अनुमानित लगभग 20-20 आवेदन प्राप्त हुए हैं। समाजवादी पार्टी से टिकट लेने वालों की कतार बड़ी है मगर टिकट उन्हीं को मिलेगा जिनकी जमीन पर पकड़ होगी।

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