प्रयागराज : संविदात्मक विवाद में दाखिल रिट याचिका में नए अधिकारों की मांग स्वीकार्य नहीं

प्रयागराज :  संविदात्मक विवाद में दाखिल रिट याचिका में नए अधिकारों की मांग स्वीकार्य नहीं

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविदात्मक विवाद में क्षेत्राधिकार की सीमा को स्पष्ट करते हुए बताया कि संविदा संबंधी विवादों में रिट याचिका तभी स्वीकार्य है, जब इसे अनुबंध/समझौते द्वारा बनाए गए अधिकारों की रक्षा के लिए दाखिल किया गया हो। कोर्ट ने माना कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट के माध्यम से अनुबंध के तहत नए अधिकारों के निर्माण की मांग नहीं की जा सकती है, बल्कि दिए गए अधिकारों के रक्षण के लिए उपाय के रूप में रिट जारी की जा सकती है।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि विवाद संविदात्मक विवादों के दायरे में आता है, राज्य अनुच्छेद 14 के तहत अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकता। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र संविदा संबंधी विवादों तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि ऐसे विवादों में हस्तक्षेप के संबंध में विवेक का प्रयोग किया जाना चाहिए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने मेसर्स जय प्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड की याचिका पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेते हुए पट्टे को रद्द करने का निर्णय बरकरार रखकर पारित किया।

मामले के अनुसार मेसर्स जय प्रकाश एसोसिएट्स (जेएएल) द्वारा लीज रेंट, प्रीमियम और उस पर ब्याज का भुगतान न किए जाने के कारण विशेष विकास क्षेत्र परियोजना के अंतर्गत संपूर्ण 1000 हेक्टेयर भूमि के लीज डीड को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) द्वारा रद्द कर दिया गया। वाईईआईडीए के अधिवक्ता ने कोर्ट द्वारा मौजूदा रिट याचिका की स्वीकार्यता को चुनौती दी कि यह विशुद्ध रूप से संविदात्मक विवाद था, जिस पर रिट क्षेत्राधिकार के तहत विचार नहीं किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें- Bahraich News : तेंदुए के हमले में बालक की मौत, गेहूं के खेत में मिला क्षत विक्षत शव