जानें क्यों मनाते हैं देव दीपावली, इस दिन घर और पूजा के स्थान में जलाएं इतने दीपक
कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी को देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को सिक्ख धर्म की नींव रखने वाले गुरुनानक देव जी का जन्म दिवस भी होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्री विष्णु जी की अराधना कर तुलसी के पौधे के सामने दीपक जला कर पूजा की जाती …
कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी को देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को सिक्ख धर्म की नींव रखने वाले गुरुनानक देव जी का जन्म दिवस भी होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्री विष्णु जी की अराधना कर तुलसी के पौधे के सामने दीपक जला कर पूजा की जाती है। इस साल यह पर्व 18 नवंबर को मनाया जाएगा।
देव दीपावली क्यों मनाते हैं
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वाराणसी को महाकाल की नगरी कहा जाता है और इस दिन सभी देवी और देवता इस स्थान पर एकत्रित होते हैं। एक प्राचीन कथा के अनुसार भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध करके सभी को इस राक्षस के अत्याचारों से मुक्त किया था। इस अवसर पर सभी देवताओं ने काशी में इकट्ठा हो कर दीपक जला कर इस दिन को मनाया था।
इस दिन दीपक जलाने के साथ ही भगवान शिव के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने की भी परंपरा है । ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु में बढ़ोतरी होती है। इस माह में उपासना, स्नान, दान, यज्ञ आदि का भी अच्छा परिणाम मिलता है।
शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरू : 18 नवंबर, गुरुवार को दोपहर 12 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 19 नवंबर, शुक्रवार को दोपहर 02:26 मिनट तक
प्रदोष काल मुहूर्त : 18 नवंबर शाम 05:09 से 07:47 मिनट तक
पूजा विधि
देव दीपावली के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। अगर आप गंगा नदी के तट पर स्नान के लिए नहीं कर सकते तो एक बाल्टी या टब में थोड़ा गंगाजल डालकर उसमें सामान्य पानी मिलाकर स्नान कर सकते हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. इसके बाद गणपति, महादेव और नारायण का ध्यान करें।
उन्हें रोली, चंदन, हल्दी, पुष्प, अक्षत, नैवेद्य, धूप और दीप आदि अर्पित करें। शिव मंत्र और विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें। शिव चालीसा पढ़ें, गीता का पाठ करें या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
शाम के समय किसी नदी में दीप को प्रवाहित करें। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो किसी मंदिर में दीपक जलाकर रखें। इसके अलावा अपने घर में और पूजा के स्थान पर भी 5, 7, 11, 21 या 51 दीपक जलाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें- ‘ऊं देवदेवाय नम’।
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