गोरखपुर : आरबीएसके टीम ने फिर रोशन की परी की जिंदगी, इस गंभीर बीमारी की हुई थी शिकार

गोरखपुर : आरबीएसके टीम ने फिर रोशन की परी की जिंदगी, इस गंभीर बीमारी की हुई थी शिकार

गोरखपुर, अमृत विचार। पिपरौली ब्लॉक के तेनुआ गांव की आठ वर्षीय परी को आंखों के फिस्टूला से मुक्ति मिल गयी है। पिछले पांच वर्षों से इस बीमारी के कारण उसके आंखों की बगल से लगातार पानी आता था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम ने परी को मेडिकल कालेज ले जाकर जून 2022 में सर्जरी …

गोरखपुर, अमृत विचार। पिपरौली ब्लॉक के तेनुआ गांव की आठ वर्षीय परी को आंखों के फिस्टूला से मुक्ति मिल गयी है। पिछले पांच वर्षों से इस बीमारी के कारण उसके आंखों की बगल से लगातार पानी आता था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम ने परी को मेडिकल कालेज ले जाकर जून 2022 में सर्जरी करवा दी। परी अब पूरी तरह से स्वस्थ है।

परी के पिता 30 वर्षीय मोहन एक फैक्ट्री में कार्य करते हैं। वह बताते हैं कि करीब पांच साल पहले आंखों के बगल से पानी निकलना शुरू किया तो आंखों के चिकित्सक को दिखाया लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो सकी। हजारों रुपये इलाज में भी खर्च किये लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जून 2022 में आरबीएस के टीम गांव के प्राथमिक स्कूल पर पहुंची तो शिक्षिका ने बच्ची की बीमारी के बारे में टीम से चर्चा किया। टीम ने परी की स्क्रिनिंग की।

टीम के चिकित्सक डॉ एसके वर्मा और डॉ पवन यादव का कहना है कि उन्हें आंखों की फिस्टूला के बारे में पहले ही ट्रेनिंग दी गयी थी। दरअसल यह बीमारी सामान्यतया शरीर के गुदा द्वार में होती है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी यह हो सकती है। इसमें गुदा ग्रंथियों में संक्रमण हो जाता है और गुदा पर फोड़ा बन जाता है, जिससे मवाद आने लगता है। फिस्टूला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोड़ने वाला मार्ग है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है।

टीम के चिकित्सकों के साथ टीम के सदस्य ओम शिवेंद्र भारती और चंदन राय ने स्क्रीनिंग के दौरान आंखों के फिस्टूला की परी में पहचान होने के बाद उसके अभिभावकों को समझाया कि घबराने की कोई बात नहीं है। इस बीमारी का इलाज हो जाएगा लेकिन उसके लिए समय देना पड़ेगा।

मोहन ने बताया कि 15 जून को परी को पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुलाया गया और वहां से आरबीएसके की गाड़ी से पहले सदर अस्पताल ले जाया गया और फिर वहां से बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाकर भर्ती करवा दिया गया। 16 जून को बच्ची की सर्जरी हुई और 17 जून को वह डिस्चार्ज हो गयी। पूरी सुविधा निःशुल्क मिली और अब उसके आंखों की दिक्कत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।

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