Online पढ़ाई बढ़ता बोझ… नहीं था Smartphone तो students कर रहे थे suicide, झारखंड पुलिस का idea और हो गया कमाल

रांची। कोविड-19 महामारी के दौर में पढ़ाई जारी रखने के लिए मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की कमी से जूझ रहे गरीब बच्चों की मदद के लिए झारखंड पुलिस ने एक अनूठी पहल करते हुए गैजेट बैंक की शुरुआत की है। इस गैजेट बैंक में इस्तेमाल किए हुए मोबाइल फोन और लैपटॉप का …
रांची। कोविड-19 महामारी के दौर में पढ़ाई जारी रखने के लिए मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की कमी से जूझ रहे गरीब बच्चों की मदद के लिए झारखंड पुलिस ने एक अनूठी पहल करते हुए गैजेट बैंक की शुरुआत की है। इस गैजेट बैंक में इस्तेमाल किए हुए मोबाइल फोन और लैपटॉप का संग्रह है, जिसे गरीब बच्चों को दिया जाता है ताकि वे ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाई कर सकें।
पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों के अलावा मोबाइल फोन और लैपटॉप नहीं मिलने के कारण कुछ छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की कोशिश जैसे वाकये सुनने के बाद झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा ने इसकी शुरुआत की और राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को इस प्रकार के बैंक स्थापित करने का सुझाव दिया।
डीजीपी की योजना राज्य के प्रत्येक पुलिस थाना में ऐसे `मोबाइल और लैपटॉप बैंक` बनाने की है। इस योजना की शुरुआत के तहत झारखंड के सुदूर गोड्डा जिले में सिम कार्ड और तीन महीने की मुफ्त इंटरनेट सुविधा के साथ स्मार्टफोन वितरित किए गए हैं।
सिन्हा ने कहा, ”दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा के आत्महत्या करने की खबर ने मुझे भीतर से झकझोर कर रख दिया। छात्रा ने खुद को परिवार पर बोझ बताते हुए तेलंगाना स्थित अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। मैंने एक वीडियो देखा, जिसमें झारखंड की एक 11 साल की बच्ची को स्मार्टफोन नहीं खरीद पाने के कारण अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह आम बेच रही थी।”
डीजीपी ने राज्य के सभी 24 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को पुलिस थानों में गैजेट बैंक स्थापित करने के लिए पत्र लिखा है। पत्र में पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि वे लोगों से मोबाइल फोन, लैपटॉप, नोटपैड आदि दान करने की अपील करें ताकि गरीब बच्चों को यह वितरित किए जा सकें और उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं हो।