लखनऊः कार्यदायी संस्थाओं को निरीक्षण का खौफ नहीं, शहर की सफाई व्यवस्था अभी भी पटरी पर नहीं
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लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य और जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने नौ महीने में पांच बार शहर की सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया। कहीं जलभराव मिला तो कहीं बजबजाती नालियां और कूड़े के ढेर। प्रभारी मंत्री के निर्देश पर अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर कार्यकायी संस्था पर दंडात्मक कार्रवाई की गई, लेकिन कहीं कोई सुधार नहीं हुआ। शुक्रवार 21 मार्च को फिर निरीक्षण में प्रभारी मंत्री को फिर शहर की सफाई व्यवस्था बदहाल मिली। इससे तो यही स्पष्ट होता है सफाई सफाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों और कार्यदायी संस्थाओं को न ही मंत्री का डर है और न ही आला अधिकारियों का ही खौफ।
21 मार्च - जोन 1, 4 और जोन 7 में प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने निरीक्षण किया। जोन 1 के नरही में गंदगी मिली। सुपरवाइजर और जोनल अधिकारी को नोटिस। कार्यदायी संस्था वर्षा इंटरप्राइजेज पर 10,000 रुपये जुर्माना।
4 फरवरी - जोन दो के राजा बाजार और सुभाषचन्द्र बोस-यहियागंज वार्ड का निरीक्षण मंत्री ने किया। नाली और नाले की सफाई पर नाराजगी जताई।
11 जून 2024 - बाबू बनारसी दास वार्ड, लालकुआं वार्ड, जेसी बोस वार्ड, यदुनाल सान्याल वार्ड में नाली सफाई पर असंतोष जताते हुए प्रभारी मंत्री ने जिम्मेदारों का फटकार लगायी। व्यवस्था तत्काल सुधारने को कहा।
5 जुलाई 2024 - जोन 5 के गीतापल्ली वार्ड में निरीक्षण। गंदगी देख प्रभारी मंत्री ने सफाई कर्मचारी, सुपरवाइजर और एसएफआई का वेतन काटने के दिए निर्देश।
17 अगस्त 2024 - मंत्री ने जोन 6 के चार वार्डों हैदरगंज द्वितीय एवं तृतीय, कल्याण सिंह वार्ड और कन्हैया माधोपुर वार्ड में निरीक्षण किया। गंदगी मिलने पर जोनल अधिकारी का वेतन काटने के निर्देश दिये।
10,000 सफाई कर्मी लगे हैं कागजों पर आधे भी ढूंढे नहीं मिलते
हाल यह है कि शहर की सफाई के लिए कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से लगभग 10 हजार सफाईकर्मी कागजों पर तो लगे हैं लेकिन मौके पर आधे भी नहीं मिलते। कार्यदायी संस्थाएं सफाई में जमकर मनमानी करती हैं और अधिकारियों की कृपा से भुगतान पूरा लेती हैं। सफाईकर्मियों की उपस्थिति में गड़बड़ी का असर सफाई व्यवस्था पर पड़ रहा है। शहर में जगह-जगह सड़क और गलियों में कूड़े के ढेर लगे हैं और नालियां गंदगी से चोक हैं।
मॉनीटरिंग के धरे रह गए दावे, मैनुअल हो रही उपस्थिति
कार्यदायी संस्थाएं सफाईकर्मियों की उपस्थिति में जमकर गड़बड़ी करती हैं। इसे रोकने के लिए नगर निगम ने कई प्रयास किये लेकिन सफल नहीं हुआ। निगरानी के लिए स्मार्ट वॉच खरीदीं। सफाईकर्मियों को स्मार्ट फोन बांटे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इन सब पर नगर निगम का लाखों रुपये बर्बाद हुआ। फिर पुराने तरीके से मैनुअल सफाईकर्मियों की हाजिरी लगाई जाती है। नगर निगम द्वारा इनका सत्यापन भी नहीं कराया जाता है।
झाड़ू लगा गलियों में डाल रहे कूड़ा
जोन 8 के वृंदावन योजना, तेलीबाग, रजनीखंड, रुचिखंड, पीजीआई, आशियाना, एलडीए कालोनी, आलमबाग आदि क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। कंपनी के कर्मचारी हफ्ते में दो दिन ही सफाई करने आते हैं। मुख्य मार्ग पर झाड़ू लगाकर कूड़ा गलियों में डाल देते हैं। यही नहीं कूड़ा उठाने की जगह आग लगा देते हैं। इसके अलावा घरों से कूड़ा भी नहीं उठ रहा है। कंपनी की कार्यशैली से लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि इससे पहले ही सफाई और कूड़ा उठान व्यवस्था ठीक थी।
लॉयन सिक्योरिटी को अफसरों का संरक्षण
लखनऊ नगर निगम में लगभग 33 कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर 10 हजार के करीब सफाईकर्मी लगे हैं। इनमें सबसे पुरानी और प्रभावशाली संस्था लॉयन सिक्योरिटी गार्ड सर्विसेज है। इसके लगभग 3000 से अधिक कर्मचारी लगे हैं। अधिकारियों का संस्था को संरक्षण इस कदर है कि सफाई में लापरवाही के बाद कई बार नगर निगम ने नोटिस जारी करने के साथ भुगतान से कटौती की लेकिन काम से नहीं हटाया न ब्लैक लिस्ट किया।
प्रभारी मंत्री के शनिवार के निरीक्षण में कार्यदायी संस्था की कमी पायी गई थी। सफाई में जो भी कार्यदायी संस्था लापरवाही करेगी उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इन्द्रजीत सिंह, नगर आयुक्त
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