लखीमपुर खीरी: लापता किशोरी का तीसरे दिन मिला शव, दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: थाना निघासन क्षेत्र के एक गांव में तीन दिन से लापता 15 वर्षीय किशोरी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। उसकी गर्दन का हिस्सा उठा हुआ, शेष धड़ झाड़ियों के बीच जमीन पर पड़ा हुआ था। गर्दन में दुपट्टा कसा हुआ था, जिसका एक सिरा शहतूत की पतली टहनी से बंधा था। इससे दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या किए जाने की आशंका जताई जा रही है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस छानबीन कर रही है।
थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने बताया कि 17 मार्च की दोपहर उनकी 15 वर्षीय बेटी घर पर बिना कुछ बताए गई थी। इसके बाद वह काफी देर तक घर वापस नहीं आई। उन्होंने गांव और इधर-उधर उसकी तलाश की, लेकिन कोई पता नही चला। खेतों, तालाबों आदि की तरफ भी जाकर देखा, लेकिन वह नहीं मिली। बुधवार की सुबह करीब दस बजे गांव सेमरा पुरवा के मजदूर गांव से करीब एक किलोमीटर दूर गन्ना छील रहे थे। इसी बीच उनकी नजर बबूल के पेड़ के नीचे पड़ी तो उन्हें लड़की का शव दिखाई पड़ा।
मजदूर जब नजदीक पहुंचे तो देखा कि पेड़ के नीचे लगे सहतूत के पेड़ की पतली टहनी के सहारे किशोरी की गर्दन टंगी हुई और शेष धड़ जमीन पर पड़ा हुआ था। उसके गले में दुपट्टे का फंदा कसा हुआ था। यह देख मजदूरों में हड़कंप मच गया। शव मिलने की सूचना पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। बड़ी संख्या में लोगों के साथ ही किशोरी के परिवार के लोग भी मौके पर पहुंच गए। शव देख उनमें चीख पुकार मच गई।
सूचना पाकर प्रभारी निरीक्षक महेश चंद्र भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और परिवार वालों से जानकारी ली। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। प्रभारी निरीक्षक महेश प्रसाद ने बताया कि किशोरी का उसके परिवार में ही किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद वह घर से निकली थी। प्रथम दृष्टया आत्महत्या लग रही है। साफतौर पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने दुष्कर्म जैसी किसी बात से इंकार किया है।
परिस्थितिजन्य साक्ष्य हत्या की ओर कर रहे इशारा
किशोरी का शव मिलने के बाद मौके पर मौजूद तमाम परिस्थितिजन्य साक्ष्य दरिंदगी के बाद हत्या की तरफ इशारा कर रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जिस टहनी में पुराने दुपट्टे का एक सिरा बंधा हुआ था। उसकी ऊंचाई जमीन से महज तीन फुट थी। वह किशोरी का भार नहीं रोक सकती थी। उसके दोनों पैरों में चप्पल थी। दाएं पैर का चप्पल टूटा था। यदि उसने फांसी लगाई तो दोनों पैर में चप्पल कैसे पहने है।
फांसी लगने के दौरान व्यक्ति छटपटाता है, लेकिन मौके पर ऐसे कोई निशान नहीं मिले हैं, जिससे यह साबित हो कि जान निकलने के पहले किशोरी ने कोई संघर्ष किया है। उसकी जुबान भी बाहर नहीं निकली थी। मौके पर घसीटने कर लाए जाने के निशान बता रहे थे कि युवती की हत्या कहीं दूसरी जगह की गई और उसे घसीटकर लाया गया है। उसके बाद उसकी गर्दन को शहतूत की पतली डाल के सहारे लटका दिया गया।
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