शाहजहांपुर: स्वास्थ्य विभाग घोटाले...सीएमओ सहित दस अधिकारियों की गर्दन फंसने को तैयार!

शाहजहांपुर: स्वास्थ्य विभाग घोटाले...सीएमओ सहित दस अधिकारियों की गर्दन फंसने को तैयार!

शाहजहांपुर, अमृत विचार। प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को नियमों पर कसना शुरू किया तो एक के बाद एक घोटाला सामने आने लगा। पता चला है कि लगभग 21 लाख रुपये के 4390 चश्मे सिर्फ कागजों में ही बांट दिए गए। कोविड काल में खरीदा गया लाखों का सामान डंप कर बर्बाद कर दिया गया। कई प्रसव केंद्र सिर्फ कागजों में ही संचालित होते रहे।

यह सीधे तौर पर सरकारी पैसे का घोटाला है, जो वास्तव में जनता का पैसा है। कहा जा रहा है कि घोटाले तीन अलग-अलग समय में किए गए हैं। कोविड काल में सामान खरीद कर डंप कर दिया, जो अब सड़-गल गया। इसके लिए खरीद करने वाले तत्कालीन सीएमओ, एसीएमओ और स्टोर इंचार्ज सहित कुछ अन्य अधिकारी जिम्मेदार हैं।

जबकि सिर्फ कागजों में चश्मा बांटने के लिए तत्कालीन सीएमओ, एसीएमओ, सीएचसी-पीएचसी प्रभारी और नेत्र परीक्षण अधिकारी जिम्मेदार हैं। इसी तरह प्रसव केंद्र, कोविड बचाव केंद्रों के कागजों में संचालन के लिए भी जिले से लेकर एमओआईसी जिम्मेदार माने जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो इन कथित घोटालों में स्वास्थ्य विभाग के कम से कम दस अधिकारी जिम्मेदार निकलेंगे। अगर जांच के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई तो सभी सलाखों के पीछे होंगे।

डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर सीडीओ डॉ. अपराजिता सिंह स्वास्थ्य विभाग में अक्सर लगने वाले घोटालों के आरोपों की जांच कर रही हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि स्कूली बच्चों व बुजुर्गों को 4390 चश्मे फर्जी तरीके से बिल बनाकर कागजों में ही बांट दिए गए। जबकि वे चश्मे कहां, कब और किसको बांटे गए यह डाटा स्वास्थ्य विभाग के नेत्र परीक्षक अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं जोकि सबसे बड़ी लापरवाही दर्शा रहा है।

इस पर सीडीओ ने कमेटी को निर्देशित किया है कि वे नेत्र परीक्षकों के रिकार्ड भी चेक करें। सीडीओ की अब तक पड़ताल में एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। पता चला है कि जिम्मेदार स्वास्थ्य सेवाओं को सीएचसी, पीएचसी व स्वास्थ्य उपकेंद्रों तक पहुंचाने को खर्च होने जाने वाले बजट को कागजों में खपाकर बिलिंग का खेल कर रहा था। वहीं, इस मामले में स्टोर इंचार्ज की भी भूमिका संदिग्ध लग रही है। जल्द ही जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर जांच की कार्रवाई की जाएगी।

सीडीओ को गुमराह करने की कोशिश, ताला तुड़वाया तो सामने आया सच
सीडीओ के अनुसार कई निरीक्षण में उन्हें गलत जानकारी दी गई। उन्होंने धरातल पर हकीकत परखने की कोशिश की तो पता चला कि बच्चों व बुजुर्गों को वितरण किए जाने वाले चश्मे भी कागजों में खानापूर्ति कर बांट दिए। ददरौल सीएचसी में खंडहर भवन में कोविड में आए बेड वगैरह खुले आसमान में गलने के लिए रखवा दिए गए, जोकि लापरवाही की श्रेणी में आता है।

इसकी भी जांच कराई जा रही है। सीडीओ ने जब ददरौल सीएचसी का निरीक्षण किया तो तत्कालीन एमओआईसी ने नयी बिल्डिंग का निरीक्षण कराके उन्हें अंधेरे में रखना की कोशिश की थी। वहीं, सीडीओ ने सीएचसी के पीछे बने जर्जर भवन में पड़ा ताला खुलवाना चाहा तो पता चला कि वहां पर तो सीएमओ आफिस के मुख्य स्टोर इंचार्ज का ताला पड़ा हुआ है। जब सीडीओ ने ताला तुड़वाकर निरीक्षण किया तो पता चला कि कोविड काल में आए बेड सैकड़ों की संख्या में खुले आसमान के नीचे गल रहे हैं। चारों ओर घास फूस व गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग को लेकर की जा रही जांच में कई चीजें प्रकाश में आई हैं। सामान खरीद कर स्टोर में रखे गए। सामान को उपकेंद्रों, पीएचसी पर नहीं भेजा गया। यहां तक कि सामान लोगों के घरों पर पहुंचा दिया गया। एक सप्ताह में यह जांच पूरी होगी। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी- धर्मेंद्र प्रताप सिंह, डीएम

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