Kanpur: दिल का दर्द दे रही सर्दी, कार्डियोलॉजी में 36 मरीज भर्ती, डॉक्टरों ने बताया- इस वजह से ब्लॉक होती हैं नसें...
कानपुर, अमृत विचार। ठंड बढ़ने के साथ दिल के मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। सरकारी और निजी अस्पतालों में अस्पतालों में हार्ट के मरीज कई तरह की परेशानियां लेकर पहुंच रहे हैं। रविवार को कार्डियोलॉजी संस्थान में हृदय संबंधी समस्या लेकर 41 मरीज इमरजेंसी में पहुंचे। इनमें हार्ट अटैक की आशंका पर 36 को भर्ती किया गया। कड़ाके की ठंड से बीमार लोगों के साथ ब्लड प्रेशर और डायबिटीज पीड़ितों की दिक्कत बढ़ गई है।
दिल को करनी पड़ रही ज्यादा मेहनत
सर्दियों में हार्ट को कई गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। सुस्त लाइफस्टाइल के कारण दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में लोगों की फिजिकल एक्टिविटीज कम हो जाती हैं। लोग तला-भुना खाना ज्यादा खाने लगते हैं। इससे हार्ट पर बोझ बढ़ता है। शरीर और खून को गर्म रखने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
इनको रहता ज्यादा खतरा
- हाई बीपी के मरीज
- हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज
- दिल की बीमारी से पीड़ित
- डायबिटीज से पीड़ित
- ज्यादा मोटे लोग
- सिगरेट, शराब पीने वाले
इस वजह से ब्लॉक होती हैं नसें
कार्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक डॉ.राकेश वर्मा ने बताया कि हार्ट अटैक व नसें ब्लॉक होने का पहला बड़ा कारण वंशानुगत माना जाता है। जिनको पीढ़ीगत यह समस्या है, उन्हें सबसे ज्यादा जोखिम रहता है। दूसरा बड़ा कारण धूम्रपान करना है। तंबाकू का धुआं नसों के अंदर जमता रहता है, जिससे खून बहने के लिए जगह कम होती जाती है और नसें ब्लाक हो जाती हैं। शारीरिक व्यायाम न करने और सही डाइट न लेने के कारण भी हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे हैं।
चेस्ट अस्पताल इमरजेंसी में 14 मरीज भर्ती
मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल की इमरजेंसी में रविवार को 14 मरीज भर्ती किए गए, इनको सांस लेने में दिक्कत, फेफड़े में समस्या व निमोनिया हो गया था। चिकित्सक सांस के मरीजों को नियमित दवा सेवन और धूल व धुएं से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं।
सर्दी में सिकुड़ने लगती श्वास नली
मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के डॉ.आनंद कुमार ने बताया कि सर्दी बढ़ने से मरीजों में श्वास से संबंधित बीमारियां हो रही हैं। ज्यादा सर्दी में श्वास नली सिकुड़ने लगती है, जिससे सांस लेने में परेशानी आती है। ऐसे में अगर चेस्ट में कोई इंफेक्शन है तो मरीज की स्थिति और खराब हो सकती है। बच्चों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।