रामपुर: गेहूं की फसल को पाले से बचाने के लिए करें हल्की सिंचाई
खेती-खलिहान....गंधक का छिड़काव करने से भी हो जाता है फसल का पाले से बचाव
खेत में खड़ी गेहूं की फसल।
रामपुर, अमृत विचार। कृषि वैज्ञानिक डॉ. विशाल गंगवार ने बताया कि मसूर, चना, गेहूं, टमाटर, बैंगन, आलू, फूलगोभी, मिर्च, धनिया, पालक की फसल को हल्की सिंचाई करके पाले से बचाया जा सकता है। सिंचाई से खेत के तापमान में 0.5 से 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक वृद्धि हो जाएगी। पाले में पौधों के अंदर का पानी जमने से उनकी कोशिकाएं फट जाती हैं। किसान गंधक की डस्ट का छिड़काव करके भी पाले से फसलों को बचा सकते हैं।
जनवरी में पाला ज्यादा पड़ने की संभावना रहती है।
पाले के प्रभाव से प्रमुख रूप से उद्यानिकी फसलें जैसे टमाटर, बैंगन, आलू, फूलगोभी, मिर्च, धनिया, पालक तथा फसलों में प्रमुख रूप से मसूर, चना और कुछ मात्रा में गेहूं आदि के प्रभावित होने की ज्यादा संभावना रहती है। विशेषकर जब यह फूल और फल की अवस्था में हों। पाला तब पड़ता है जब तापमान 4 डिग्री सेंटीग्रेड से कम होते हुए शून्य डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है। ऐसी अवस्था में वायुमंडल के तापमान को शून्य डिग्री से ऊपर बनाए रखना जरूरी हो जाता है। पाले की अवस्था में पौधों के अंदर का पानी जम जाने तथा उसका आयतन बढ़ने से पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। इसके कारण पत्तियां झुलस जाती हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होने से फसल में फल और फूल नहीं लगते और उपज बुरी तरह प्रभावित होती है।
इसके अतिरिक्त तापमान कई बार शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम हो जाता है। ऐसी अवस्था में ओस की बूंदें पौधों पर जम जाती हैं। जिसके कारण पौधों तथा उनकी फलियों, फूलों और पत्तों पर बर्फ जमा होने से ज्यादा नुकसान होता है। यदि पाले की यह अवस्था अधिक देर तक बनी रहे तो पौधे मर भी सकते हैं।
इस तरह करें शीतलहर और पाले से फसल की सुरक्षा
पाले से सर्वाधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को प्लास्टिक की चादर, पुआल आदि से ढंक दें। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ जाता है। इससे तापमान जमाव बिन्दु तक नहीं पहुंच पाता और पौधा पाले से बच जाता है। खेत के उत्तर-पश्चिम मेढ़ पर तथा बीच-बीच में उचित स्थान पर वायु रोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल, खेजड़ी, आड़ू, शहतूत, आम तथा जामुन आदि लगाए जाएं तो सर्दियों में पाले व ठंडी हवा के झोकों के साथ ही गर्मी में लू से भी बचाव हो सकता है। सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों पर गंधक का छिड़काव करने से पाले से बचाव होता है। किसान थायो यूरिया का भी उपयोग कर सकते हैं। थायो यूरिया को आधा ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें। कृषि वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मीकांत बताते हैं कि फसलों को पाले से बचाने के लिए किसान कोई भी प्रयोग कर सकते हैं। समय रहते फसलों में हल्की सिंचाई करने या गंधक के घोल का छिड़काव करने से फसलों को पाले की मार से बचाया जा सकता है।
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