बरेली: जीएसटी...कई साल से एक जैसा टर्नओवर, अब 13 हजार व्यापारी शक के दायरे में

बरेली: जीएसटी...कई साल से एक जैसा टर्नओवर, अब 13 हजार व्यापारी शक के दायरे में

अनुपम सिंह, बरेली। जीएसटी समाधान योजना के तहत कई साल से एक जैसा टर्नओवर दिखाने वाले मंडल के 13 हजार 606 व्यापारी शक के दायरे में आ गए हैं। साल दर साल उनके टर्नओवर की जांच का आदेश दिया गया है।

जीएसटी समाधान योजना 2017 में लागू की गई थी। इसमें पंजीकरण कराने वाले व्यापारियों को हर साल डेढ़ करोड़ के टर्नओवर पर एक प्रतिशत टैक्स जमा करना होता है। मंडल भर में राज्य जीएसटी योजना में 7140 और केंद्र की जीएसटी योजना में 6466 व्यापारी पंजीकृत हैं। पिछले दो वित्तीय वर्षों में समाधान योजना के तहत पंजीकृत व्यापारियों की ओर से वर्ष 2023-24 के पहली तिमाही में 2.40 करोड़ और दूसरी तिमाही में 2.54 करोड़ रुपये का टैक्स का जमा किया गया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 2.44 करोड़ और दूसरी तिमाही में 2.23 करोड़ का टैक्स जमा किया गया।

टैक्स बढ़ने के बजाय कम होने के पीछे जीएसटी अधिकारियों का मानना है कि बड़ी संख्या में व्यापारी रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे या फिर अपना कारोबार शून्य दिखा रहे हैं। रिटर्न दाखिल करने वाले व्यापारी भी टैक्स से बचने के लिए अपना टर्नओवर डेढ़ करोड़ से कम दिखा रहे हैं। इन्हीं में हजारों व्यापारी ऐसे हैं जो पिछले कई साल से एक जैसा टर्नओवर दिखा रहे हैं। इससे राजस्व काे बड़ी चपत लग रही है।

हाल ही में जीएसटी अधिकारियों ने पिछले बरसों में दाखिल किए रिटर्न के रिकाॅर्ड की जांच कराई तो साफ हुआ कि समाधान योजना में पंजीकृत व्यापारी अपना टर्नओवर बढ़ा ही नहीं रहे हैं। उनके टर्नओवर की जो स्थिति चार-पांच साल पहले थी, वही अब भी है। इसके बाद अपर आयुक्त ग्रेड- 1 दिनेश मिश्र ने मंडल के चारों जिलों में समाधान योजना के तहत पंजीकृत व्यापारियों की जांच करने के आदेश दिए हैं।

अपर आयुक्त ग्रेड-1 जीएसटी दिनेश मिश्र ने बताया कि जीएसटी समाधान योजना में पंजीकृत व्यापारी जो टर्नओवर साल दर साल दिखा रहे हैं, उस पर संदेह है। जिस व्यापारी का टर्नओवर चार साल पहले 40 लाख था, आज भी वही है, यह बात मानने योग्य नहीं है। वास्तव में उनके व्यापार में कोई इजाफा नहीं हुआ या कुछ छिपाया जा रहा है, इसकी जांच के आदेश दिए हैं।

ये भी पढ़ें - बरेली: गे दोस्त निकला कातिल...अनस का दूसरे से संबंध बनाना नहीं हुआ गवारा तो रस्सी से घोंटा था गला