आरक्षण ने बिगाड़ दी राजनैतिक सूरमाओं की गणित

आरक्षण ने बिगाड़ दी राजनैतिक सूरमाओं की गणित

हल्द्वानी, अमृत विचार। निकाय चुनाव में आरक्षण ने एक ही दांव में एक ही साथ कई राजनैतिक सूरमाओं को चित कर दिया है। नगर निगम का महापौर हो या नगर पालिका एवं पंचायत के अध्यक्ष, इनमें भाजपा में टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी थी। दावेदार टिकट के फेर में दून से दिल्ली दरबार तक चक्कर काट रहे थे। वहीं आरएसएस के जरिए भी टिकट पक्का करने की जुगत में थे। इधर, शनिवार को आरक्षण की स्थिति जारी होते ही सभी दिग्गजों की गुणा-गणित बिगड़ गई है।
जिले में कुमाऊं के सबसे बड़े निकाय नगर निगम हल्द्वानी को लेकर ही सबसे ज्यादा अटकलें थीं।

भाजपा के पास दो बार के मेयर एवं विधानसभा प्रत्याशी रहे डॉ. जोगेंद्र सिंह रौतेला सबसे ज्यादा मजबूत दावेदार माने जा रहे थे तो पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रेनू अधिकारी, भाजपा प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बिष्ट, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, दर्जा मंत्री एवं मुख्यमंत्री के करीबी डॉ. अनिल कपूर डब्बू समेत कई दिग्गज भी टिकट की रेस में थे। भाजपा का दावा था कि इनके सामने विपक्ष का कोई भी चेहरा नहीं टिक सकेगा। कयास भी लगाए जा रहे थे कि नगर निगम की सीट सामान्य रहेगी। ओबीसी आरक्षण सर्वे के बाद इन अटकलों को जोर मिल गया था। हालांकि कई एससी आरक्षित को लेकर भी आशान्वित थे। कांग्रेस से जिला पंचायत अध्यक्ष रही सुमित्रा प्रसाद की भी मजबूती दावेदारी मानी जा रही थी। इसके अलावा अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष समीर आर्या, भुवन आर्या समेत कई नेता भी प्रमुख दावेदारों में थे।

मेयर पद के दावेदारों के शहर में लगे र्होडिंग्स, सोशल मीडिया पर प्रचार और राजनैतिक कार्यक्रमों की शिरकत से भाजपा में घमासान छिड़ा हुआ था। भाजपा के पदाधिकारी से पर्यवेक्षक तक सभी इन बड़े चेहरों पर ही मंथन में जुटे हुए थे। इधर, शनिवार को सीट के अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए घोषित होते ही संगठन की सारी रणनीति और दावेदारों की सारी मेहनत धरी की धरी रह गई है। 

यह विशेष बात नहीं है, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला आरक्षण के क्रम में बदलाव हुआ है। भाजपा के पास आरक्षित वर्ग का कैडर है। विभिन्न मोर्चे हैं, जिनमें बहुत से कार्यकर्ता हैं जो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
= जोगेंद्र रोतेला, पूर्व मेयर नगर निगम हल्द्वानी