किसानों ने मांगा पूरी फसल का मुआवजा, घंटों बातचीत के बाद भी नहीं निकला हल, धरने पर बैठे

किसानों ने मांगा पूरी फसल का मुआवजा, घंटों बातचीत के बाद भी नहीं निकला हल, धरने पर बैठे

लखनऊ, अमृत विचार: मोहान रोड योजना के लिए अधिग्रहित भूमि पर की गई फसलों की क्षतिपूर्ति के तौर पर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) लागत से ज्यादा धनराशि देने पहुंचा तो किसान संतुष्ट नहीं हुए बल्कि धरना देकर पूरी फसल का मुआवजा मांगते हुए जमीन छोड़ने की बात कही। संयुक्त सचिव सुशील प्रताप सिंह ने काफी समझाया लेकिन, किसान नहीं माने। अब प्राधिकरण सख्त कदम उठाएगा।

मोहान रोड योजना के लिए एलडीए ने ग्राम कलिया खेड़ा में सभी किसानों को जमीन का मुआवजा देने के बाद कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की थी। रविवार काे जमीनों पर बोई फसलों को लेकर विवाद हो गया। किसानों की मांग पर प्राधिकरण ने सोमवार को अधिग्रहण के दौरान नष्ट हुईं फसलों का सर्वे कराया और लागत से अधिक मुआवजा देने की बात कही। मंगलवार को संयुक्त सचिव सुशील प्रताप सिंह टीम के साथ फसलों का मुआवजा देने पहुंचे थे। पूरी फसल के मुआवजे की मांग करते हुए किसान धरने पर बैठ गए। संयुक्त सचिव ने साथ में बैठकर समझाया, लेकिन किसान नहीं माने। इस पर टीम लौट गई। 2012 से बराबर विरोध चल रहा है। इसे देखते हुए एलडीए ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर मजबूरन सख्त कदम उठाने की बात कही।

धान कटाई तक थी मोहलत, 18 हजार तक देने को तैयार

मोहान रोड योजना में कलिया खेड़ा और प्यारेपुर की 1400 बीघा जमीन पर विकसित होनी है। कलिया खेड़ा के किसानों को प्राधिकरण अधिग्रहित जमीन का पूरा भुगतान कर चुका है, लेकिन किसानों की मांग और विरोध के आगे कब्जा नहीं ले पा रहा है। इस बार धान की फसल कटने तक की मोहलत दी गई थी। इसके बाद भी किसानों ने रबी की फसल बो दी। फिर भी प्राधिकरण क्षतिपूर्ति के मानकों के आधार पर प्रति हेक्टेयर 18 हजार रुपये तक लागत का देने को तैयार है, जबकि 12 हजार रुपये तक बनते हैं। इस पर किसान सहमत नहीं है। प्राधिकरण ने योजना की शुरुआत करने के लिए कलिया खेड़ा में सेक्टर 6 व 7 विकसित करने के लिए 50-60 बीघा ही जमीन फिलहाल मांगी है।

किसान नेता ने कहा, धरना जारी रहेगा

मंगलवार को कलिया खेड़ा के किसानों ने भारतीय किसान मजदूर दशहरी यूनियन के बैनर तले धरना देकर संपूर्ण मुआवजा व फसलों की क्षतिपूर्ति मांगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष यादव ने बताया कि किसानों को संपूर्ण भुगतान नहीं किया गया है। पेड़ों का बकाया है। 94 गांव के किसानों को जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। इसी तरह पेंशन देने की बात कही थी, इसलिए जब तक संपूर्ण भुगतान नहीं होता तब तक धरना जारी रहेगा।

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