Bareilly: लाखों का गोलमाल, नवाबगंज के बीडीओ समेत कई अधिकारी फंसे
बरेली, अमृत विचार। नवाबगंज के गांव रत्ना नंदपुर में मनरेगा के बजट में करीब 10 लाख रुपये का गोलमाल किया गया। बिना प्रावधान के दसवां घर और सामुदायिक शेड मनरेगा के बजट से बनवा दिए। मनरेगा लोकपाल ने जांच में बीडीओ समेत पांच अधिकारियों और कर्मचारियों को इसका जिम्मेदार बताते हुए 28-28 हजार रुपये की रिकवरी की संस्तुति की है।
गांव निवासी प्रेम चंद्र ने अक्टूबर में जिला लोकपाल मनरेगा कार्यालय में शिकायत कर आरोप लगाया था कि ग्राम पंचायत में दसवां स्थल, सामुदायिक शेड, सड़क, पंचायत भवन के निर्माण समेत अन्य कायों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। बीडीओ और कई और अधिकारियों ने लाखों का गोलमाल किया है। मनरेगा लोकपाल शिशुपाल मौर्य ने प्रेमचंद्र की शिकायत पर गांव में जाकर जांच की तो कई गड़बड़ियां पकड़ी गईं।
मनरेगा लोकपाल ने बताया कि प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक कार्यों से जुड़े दस्तावेज मांगे तो वह सभी दस्तावेज नहीं दिखा सके और उनसे कुछ मोहलत देने की मांग की। छानबीन में पता चला कि गांव में दो दसवां स्थलों का निर्माण दिखाकर होना 4.23 लाख रुपये की रकम मनरेगा के खाते से निकाली गई। इसके अलावा सामुदायिक शेड के निर्माण पर मनरेगा से करीब 3.8 लाख रुपये खर्च किए गए। इतना ही नहीं पौधे लगाने के लिए भी मनरेगा से 1.48 लाख का बजट निकाला गया, जबकि मनरेगा से दसवां स्थल, सामुदायिक शेड और पौधे खरीदने का प्रावधान ही नहीं है।
उन्होंने बताया कि जांच में पाया कि गांव में साल 2021 के बाद से अब तक खुली बैठक नहीं की गई। प्रस्ताव रजिस्टर मांगने पर नहीं दिखाया जा सका। इसके अलावा मनरेगा से कराए गए सात विकास कार्यों की जांच की, जिसमें कहीं सीआईबी नहीं मिला। इस पर लोकपाल ने बीडीओ, कार्यक्रम प्रभारी, तकनीकी सहायक, एपीओ और लेखाकार पर 28-28 हजार रुपये की वसूली की संस्तुति की।
इस मामले में खंड विकास अधिकारी महेश चंद्र शाक्य ने अनभिज्ञता प्रकट की और सचिव व प्रधान ने फोन नहीं उठाया। मिलजुलकर बंदरबांट कियाः मनरेगा लोकपाल की जांच से साबित हुआ कि ब्लॉकों में एक तरफ मनरेगा के श्रमिकों को उनका मेहनताना नहीं मिल पा रहा है तो दूसरी तरफ अधिकारी आपस में मिलजुलकर मनरेगा के बजट की बंदरबांट करने में जुटे हुए है।