लखनऊ का गुलजार नगर हुआ कूडे़ से 'गुलजार', प्रवेश द्वार पर ही फैला रहता है कूड़ा
लखनऊ, अमृत विचार: केंद्र और प्रदेश सरकार आए दिन स्वच्छता अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का कार्य रही है। झाड़ू हाथ में लेकर जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी अभियानों में दिखते हैं, लेकिन अम्बेडकर नगर वार्ड के गुलजार नगर मोहल्ले में प्रवेश करते ही स्वच्छता संबंधी यह प्रयास और संदेश बेमानी नजर आते हैं। प्रवेश द्वार पर ही कूड़े का ढेर नजर आता है। साथ ही गंदगी से पटा खुला हुआ नाला भी हादसों को न्योता देता दिखता है। खुला नाला चोक होने पर गंदगी लोगों के घर के बाहर तक आ जाती है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ जाती है।
‘अमृत विचार, आपके द्वार’ की टीम रविवार को जब गुलजार नगर पहुंची तो लोगों ने नगर निगम पर ठीकरा फोड़ते हुए नाराजगी जताई। मोहल्ले की आबादी 10 हजार से अधिक है और सफाई का जिम्मा एक कर्मी पर। सफाई कर्मी भी सफाई करने के बाद कूड़ा नाले में ही डाल देता है, जिससे नाला चोक हो जाता है। कूड़ा डंपिंग यार्ड तक न जाकर या तो नाले में पहुंचता है या फिर खाली प्लॉट में फेंक दिया जाता है।
बिजली के पोल हैं, लेकिन लाइट नहीं
गुलजार नगर और गढ़ी कनौरा जाने के लिए एक ही मार्ग है। शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है। बिजली के पोल तो हैं, मगर एक भी लाइट नहीं है। मार्ग प्रकाश व्यवस्था का बुरा हाल है। क्षेत्र में देर शाम महिलाओं को आने-जाने में सबसे अधिक परेशानी होती है। घर में अगर कोई अस्वस्थ हो और उसे चिकित्सक के पास ले जाना है तो अंधेरे में मोबाइल की टॉर्च जलाकर ही जाना पड़ता है।
दूषित पेयजल आपूर्ति से लोग परेशान
सभी के घरों में पेयजल लाइन है, मगर इससे दूषित पेयजल की आपूर्ति होती है। क्षेत्र में इस बार गर्मी और बारिश के मौसम में डायरिया फैला था और कई लोग चपेट में आए थे। पीलिया जैसी बीमारी से भी लोग ग्रस्त रहे थे। बावजूद इसके साफ पानी की उपलब्धता नहीं है।
चंदा कर लगवाई है पानी की टंकी
स्वच्छ पेयजल के लिए लोगों ने चंदा कर पानी की टंकी लगवाई है। पानी की टंकी को बोरिंग के जरिए भरा जाता है। इसके बाद उससे बाल्टियों और अन्य बर्तनों में जल भरकर ले जाया जाता है। इसका रखरखाव भी मोहल्ले के लोग चंदा एकत्र कर करते हैं। गंदे पानी की आपूर्ति की शिकायत मोहल्ले के लोग कई बार विभागीय अधिकारियों से कर चुके हैं, मगर आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
घरों की छतों से होकर जा रही बिजली लाइन
गुलजार नगर में लोगों के घरों की छतों से होकर बिजली की लाइन (एयर बंच केबिल) जा रही है। बिजली विभाग के अधिकारियों को पोल, सड़क पर लगा कर लाइन हटाने के संबंध में कई प्रार्थना पत्र दिए गए, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पहली मंजिल पर रहने वाले लोगों के कमरे के दरवाजे के ऊपर से गुजर रही केबिल किसी दिन बड़े हादसे का सबब बन सकती है।
पांच वर्षों से नहीं खुला सुलभ शौचालय का ताला
गुलजार नगर में सुलभ शौचालय बने पांच वर्ष हो चुके हैं। पांच वर्षों से शौचालय बंद पड़ा है और आज तक इसका ताला तक नहीं खुला है। शौचालय के लिए बोरिंग कराई गई। लोगों की मांग है कि बोरिंग का पाइप अगर बाहर निकालकर लगा दिया जाए तो पेयजल संकट से काफी राहत मिलेगी।
बोले स्थानीय लोग
-स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। गुलजार नगर और गढ़ी कनौरा दोनों मोहल्ले के लोगों का आना-जाना होता है। महिलाएं अंधेरे में घर से बाहर नहीं निकलती हैं। मजबूरी में ही महिलाएं बाहर जाती हैं, वह भी मोबाइल की रोशनी में।
-नूर मो. अंसारी
-नगर निगम के कर्मचारी सिर्फ खानापूरी करने यहां आते हैं। जो भी कर्मचारी आता है, आधे घंटे में सारा काम निपटा कर चला जाता है। कूड़ा ऐसे ही फैला रहता है।
–दीपक श्रीवास्तव
-नालियां सिल्ट की वजह से चोक हैं। सफाई कर्मचारी बाहर ही झाड़ू लगाकर चले जाते हैं। गंदगी की वजह से परेशानी होती हैं। लोग अपने घरों के बाहर सफाई करते हैं।
–जाकिर हुसैन
-सड़कें खराब हैं। जो टाइल्स लगी थी, वह भी उखड़ चुकी है। कई बार लोग गिरकर चोटिल हो चुके हैं। बच्चे इन उखड़ी टाइल्स में खेलकर चोटिल होते हैं।
–सोनू शर्मा
-नालियों में कूड़ा जमा रहता है, जिसकी वजह से नालियों का पानी सड़क पर आ जाता है। कई दिन तक गंदे पानी का जमाव रहता है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
–मो. यूनूस
-बिजली के पोल तो लगे हैं पर उनमें बल्ब ही नहीं लगे हैं जिसकी वजह से रात के समय अंधेरा रहता है। लोग परेशान होते हैं। महिलाओं को निकलने में दिक्कत आती है।
–जाहिद अली
-गुलजार नगर में आते ही कूड़े का ढेर दिख जाता है। यह कूड़ा डंपिंग यार्ड में पहुंचाया जाना चाहिए, लेकिन नगर निगम की लापरवाही से महीनों कूड़ा पड़ा रहता है।
–मो. फरीद
-कूड़े के बीच हम लोग रहने को मजबूर हैं। सफाई कर्मी नदारद रहते हैं, जिसकी वजह से हम लोग खुद ही कूड़े को झाड़ू लगाकर साफ करते हैं।
–आलिया बेगम
-बजबजातीं नालियां और गंदे पानी के बीच हम लोगों का जीना दुश्वार है। बारिश के दिनों में हालात और खराब हो जाते हैं। लोगों का जीना मुहाल हो जाता है।
–कलीम
-सुलभ शौचालय पिछले 5 वर्षों से बंद है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को परेशानी होती है। कई बार नगर निगम के अधिकारी आए, मगर खानापूरी कर चले गए। यह बना है तो किस लिए।
–नासरा बानो
‘अमृत विचार, आपके द्वार’ टीम : राजीव शुक्ला, अमित पांडेय और छायाकार प्रमोद शर्मा
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