इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : एनजीटी को है पर्यावरणीय मुआवजा निर्धारित करने का अधिकार
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नगर पालिका परिषद, गाजियाबाद से पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर याची चाहे तो एनजीटी द्वारा सुझाए गए विभिन्न निर्देशों के अनुसार अपनी बात एनजीटी के समक्ष रख सकता है और अगर याची उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यवाही तथा एनजीटी द्वारा पारित आदेश अनुचित लगता है तो अधिनियम की धारा 22 के तहत वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दाखिल कर सकता है।
वर्तमान याचिका की सुनवाई के लिए यह उपयुक्त मंच नहीं है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने नगर पालिका परिषद, खोदा, माकनपुर, गाजियाबाद की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। याचिका में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके अनुसार याची को 91 लाख 25 हजार रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा जमा करने का निर्देश दिया गया।
कोर्ट के समक्ष न्यायिक प्रश्न था कि क्या उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास पर्यावरणीय मुआवजा वसूली का अधिकार है या नहीं। इस संदर्भ में याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि केवल एनजीटी को यह अधिकार है कि वह पर्यावरणीय मुआवजा निर्धारित करे।
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