Maha Kumbh 2025 : असम के बंबू से बनी झोपड़ी में रात बिताएंगे विदेशी मेहमान
तीन बीघे में 20 कारीगर अरैल में तैयार कर रहे झोपड़ी, बांस के बने काटेज में मिलेगा गांव का लुक
मिथलेश त्रिपाठी, प्रयागराज : संगमनगरी प्रयागराज में रेत पर बसने वाले ऐतिहासिक महाकुंभ के मेले आने वाले विदेशी सैलानियों को इस बार गांव का लुक आकर्षण करेगा। इसके लिए नैनी स्थित अरैल में तीन बीघे में बंबू कॉटेज बनाने की तैयारी तेजी से की जा रही है। इस बंबू की नगरी को बसाने के लिए पिछले पांच महीने से लगातार कारीगर आखिरी रूप देने में जुटे हुए है। यह सभी कॉटेज वाटरप्रूफ हैं।
महाकुंभ 2025 को लेकर शासन और प्रशासन की तैयारियां तेजी से चल रही है। रेत की नगरी में तंबुओं का शहर बसाने के लिए विभागीय अधिकारी के समाज सेवी संस्थाएं भी अपने अपने टेंट सिटी को आखिरी रूप देने में जुटे हुए है। महाकुंभ में आने वाले देश और विदेश के मेहमानो के रुकने को लेकर विशेष टेंट सिटी तैयार की जा रही है। वैसे तो प्रशासन की ओर से झूंसी, नैनी में भी बड़ी टेंट सिटी बनाई जा रही है। लेकिन नैनी की अरैल में कुछ खास तरीके की टेंट सिटी तैयार की जा रही है। महाकुंभ में आने वाले विदेशी मेहमानों और श्रद्धालुओं के लिए पर्यटन विभाग के सहयोग से कई निजी कंपनियां टेंट सिटी बना रही है। अरैल में तैयार किये जा रहा बंबू टेंट सिटी काफी चर्चा में है। जिसे संगम रिसार्ट का नाम दिया गया है। इसके मालिक बृजेश पाण्डेय ने बताया कि इस टेंट सिटी को तैयार करने के लिए पांच महीने पहले से काम शुरु काराया गया है। इसे तैयार करने के लिए विशेष रूप से असम के कारीगरों को बुलाया गया है।
बांस के बंबू से तैयार हो रही झोपड़ी
टेंट सिटी में बांस के बंबू से झोपड़ी तैयार की जा रही है। इसे बनाने के लिए असम के 20 कारीगरों को बुलाया गया है। जो बांस के बंबू से झोपड़ी का आकार देने में जुटे है। झोपड़ी को बनाने के लिए मंगाए गए बंबू भी असम के ही है। अब तक दो ट्रक बंबू मंगाया जा चुका है। इस टेंट सिटी को तीन बीघे में तैयार किया जा रहा है। जिसमे 14 कॉटेज के साथ एक हॉल बनाया जा रहा है। खास तौर पर झोपड़ी का बाहर हरियाली भी देखने को मिलेगी। जो विदेशी मेहमानों को लुभाएगी।
मेहमानों को मिलेगी चूल्हे की रोटी और हांडी दाल
बृजेश पाण्डेय ने बताया कि इस कॉटेज में रुकने के साथ अन्य आने वाले श्रृद्धालुओ को खाने के लिए चूल्हे की रोटी और हांडी की दाल मिलेगी। इसके लिए गोबर से उपले और लकड़ियों की व्यवस्था भरपूर रहेगी। इसके अलावा उनके मन मुताबिक अन्य शाक़ाहारी व्यंजनों की व्यवस्था भी होगी। यहां प्याज और लहसुन से बने कोई भी सामान नही मिलेंगे।
10 से 30 हजार तक होगा किराया
इस बंबू कॉटेज में रुकने वालो के लिए 10 हजार प्रति दिन से 30 हजार तक का रेट रखा गया है। इन कॉटेज के अलावा एक 20 बेड का हॉल भी बनाया जा रहा है। यहां काटेज में बाथरूम, चेंज रूम बेड के अतिरिक्त बेहतर लॉकर की सुविधा भी की जाएगी।
एक कॉटेज की लागत पांच लाख
बस के बंबू से तैयार किया जा रहे इस कॉटेज की लागत लगभग पांच लाख बताई जा रही है। असम से आए कारीगरों के मुताबिक एक कॉटेज को तैयार करने में कामसे कम पांच मजदूरों को कम करना पड़ रहा है। अभी तकपुरी तरह से पांच कॉटेज को तैयार किया गया है।
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