महाकुम्भ 2025: चांदी के रथ पर सवार होकर जूना अखाड़ा के नागा संन्यासियों ने किया छावनी प्रवेश
बाजे-गाजे व पुष्प वर्षा से किया गया स्वागत मौज गिरी मंदिर से करतब दिखाते चले नागा साधु
कुंभनगर/प्रयागराज, अमृत विचार। देश के सबसे बड़े अखाड़े व दशनामी परम्परा को निभाने वाले सन्यासियों के पंच दशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) शनिवार को शाही अंदाज में बाजे गाजे के साथ आरंभ हुई। इस छावनी प्रवेश में देश दुनिया के करीब 10 हजार से अधिक संतो और नागा संन्यासियों ने हिस्सा लेकर अपनी भूमिका दर्ज की। पेशवाई में संन्यासी हाथों में अस्त्र शस्त्र के साथ रत्न जड़ित सिंहासन पर चांदी के हौदे पर सवार होकर निकले। पेशवाई में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि समेत कुल 65 से ज्यादा महामंडलेश्वर व पीठाधीश्वर शामिल रहे।
श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का छावनी प्रवेश और किन्नर अखाड़ा की देवत्व यात्रा शनिवार को मौजगिरी मंदिर यमुना बैंक रोड कीडगंज से पूरी भव्यता और शाही अंदाज के साथ निकाली गई। बड़ी संख्या में शहर के लोग सड़क के दोनों ओर खड़े होकर संतों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। चांदी और रत्न जड़ित सिंहासन पर सवार होकर सबसे आगे अखाड़े के भगवान दत्तात्रेय, ध्वज के बाद सभी प्रमुख संत, महात्मा और बड़ी संख्या में उनके शिष्यों ने भव्य रथों पर सवार होकर मेला क्षेत्र में स्थित शिविर में प्रवेश किया। यात्रा में ढोल, नगाड़ा, ताशा, ड्रम और अन्य वाद्ययंत्र बजते रहे और नागा संन्यासी यात्रा के दौरान अपना करतब दिखाते रहे।
मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, महाकुम्भ एसएसपी राजेश द्विवेदी सहित अन्य अधिकारियों ने संतों का मेला क्षेत्र में पहुंचने पर माल्यार्पण कर भव्य स्वागत व अभिनंदन किया। जूना अखाड़ा के संतों ने महाकुंभ मेला क्षेत्र के काली मार्ग, त्रिवेणी मार्ग पर लगे शिविर एवं किन्नर संत मेला क्षेत्र के सेक्टर - 16 में संगम लोवर मार्ग पर लगे अपने शिविरों में प्रवेश किया।
छावनी प्रवेश के दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती महाराज, जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महराज,जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि महराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेमगिरी महराज, जगद्गुरु गर्गाचार्य मुचकुन्द पीठाधीश्वर स्वामी महेन्द्रानंद गिरि महराज जूनागढ़, जगद्गुरु स्वामी भुवनेश्वरी गिरी महराज पटियाला सहित अन्य प्रमुख संत, महात्मा थे। किन्नर अखाड़ा की देवत्व यात्रा में सबसे आगे माता बऊचरा , फिर अखाड़ा का ध्वज और उसके बाद किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज का भव्य रथ चल रहा था।
देवत्व यात्रा में किन्नर अखाड़ा की अंतरराष्ट्रीय महामंडलेश्वर डा राजराजेश्वरी शिवप्रिया, उप्र किन्नर अखाड़ा की प्रदेश अध्यक्ष एवं उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि, महामंडलेश्वर पवित्रा नंद गिरि, महामंडलेश्वर कामिनी नंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी शिल्पा नंद गिरि, महामंडलेश्वर पूजानंद गिरि, महामंडलेश्वर पायल नंद गिरि, महामंडलेश्वर मोहिनी नंद गिरि, उप्र किन्नर कल्याण बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी कल्याणीनंद गिरि,महंत दुर्गा दास नंद गिरि सहित बड़ी संख्या में महामंडलेश्वर, मण्डलेश्वर, पीठाधीश्वर, महंत, श्रीमहंत सहित अन्य पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में शिष्य देवत्व यात्रा में शामिल हुए।
छावनी प्रवेश से पूर्व किया गंगा पूजन व आरती
जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा के संतों ने छावनी प्रवेश से पूर्व संगम पर मां गंगा का विधि - विधान से पूजा अर्चना की। इस दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती,जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरिगिरि महराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमगिरी महराज,आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, जगद्गुरु गर्गाचार्य मुचकुन्द पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि, जगद्गुरु स्वामी भुवनेश्वरी गिरि, किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी डा राजराजेश्वरी शिवप्रिया, महामंडलेश्वर स्वामी शिल्पानंद गिरि,महामंडलेश्वर स्वामी पीताम्बरानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी पवित्रा नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी मोहिनी नंद गिरि सहित अन्य संत, महात्मा शामिल हुए।
यह भी पढ़ें:-लोकसभा में संविधान पर चर्चा: रविशंकर प्रसाद ने राहुल पर कसा तंज, कहा- ‘ट्यूटर’ बदलना बहुत जरूरी है