उन्नाव में बिना स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के खेतों में धड़धड़ा रहीं कंबाइन मशीनें, जिम्मेदार अनजान

किसान खेतों में पड़ी पराली को लेकर हो रहे परेशान

उन्नाव में बिना स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के खेतों में धड़धड़ा रहीं कंबाइन मशीनें, जिम्मेदार अनजान

उन्नाव, अमृत विचार। धान की फसल कटाई का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है। जिसमें अधिकतर किसान अपनी फसल कंबाइन मशीनों से कटवा रहे हैं। जिससे खेतों में पराली इकट्ठा हो रही है। वह किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है। जिसमें कहीं कहीं तो किसानों ने पराली में चोरी-चुपके आग लगाकर जलाना शुरू कर दिया है। पराली जलाने से रोकने के लिए जिला प्रशासन भले ही सख्त है लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते कंबाइन मशीनें खुलेआम खेतों में धड़धड़ा रही हैं। 

प्रशासन द्वारा पराली न बनने के लिए कंबाइन मशीनों के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम या अन्य यंत्रों से पराली के प्रबंधन की जिम्मेदारी कंबाइन संचालकों को दी गई हैं। जिससे पराली छोटे-छोटे टुकड़ों में होने के बाद उन्हें जलाने की नौबत किसानों के सामने नहीं आएगी। लेकिन इसका प्रयोग किये बिना ही जिले की सदर तहसील क्षेत्र में धान की फसल काटी जा रही है। 

जिससे जिले के साथ क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाएं होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। कहीं कहीं तो किसानों ने चोरी छिपे इसमें आग लगाना भी शुरू कर दिया है। सदर तहसील क्षेत्र के सैकड़ों गावों में दर्जनों कंबाइन मशीनें फसल काट रही हैं। सभी मशीनें बिना स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के धड़ल्ले से धान काटकर खेतों में पराली छोड़ रही हैं। 

जिससे किसान चोरी छिपे पराली जला सकते हैं। जबकि जिला प्रशासन ने जागरूकता वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। जिसमें पराली को लेकर लोगों को जागरूक किया गया था। पराली जलाने पर 2500 का जुर्माना लगाने की भी जानकारी दी थी। इसे लेकर जिला कृषि अधिकारी शशांक चौधरी ने बताया कि कंबाइन मशीन में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम नहीं लगा है तो निश्चित तौर पर अभियान चलाकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जायेगी।

एसएमएस सिस्टम क्या है

एसएमएस एक ऐसा सिस्टम हैं जिसकी मदद से फसल कटाई के साथ ही बचे अवशेष को काफी छोटे छोटे टुकड़ों में कर दिया जाता है। जिससे किसानों को फसल अवशेष जलाने की जरूरत नही पड़ती है। फसल अवशेष को बारीक करने के लिए स्ट्रा रीपर, पैड़ी स्ट्रा चापर, हैपी सीडर समेत कई तरह की मशीनों का प्रयोग किया जाता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल अवशेष के खेत मे सड़ने से जैविक खाद बनती है जो फसलों के लिये फायदेमंद है। पराली नही जलाई जाएगी तो वातावरण भी शुद्ध रहेगा।

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