Chitrakoot: औरंगजेब के जमाने से लगता है गधों का मेला...आधुनिकता की भेंट चढ़ रहा मेले का अस्तित्व

Chitrakoot: औरंगजेब के जमाने से लगता है गधों का मेला...आधुनिकता की भेंट चढ़ रहा मेले का अस्तित्व

चित्रकूट, अमृत विचार। दीपावली के अवसर पर तीर्थक्षेत्र में इस साल भी गधा मेला लगा। लगभग तीन सौ साल से चली आ रही मेले की परंपरा धीरे धीरे आधुनिकता की भेंट चढ़ती जा रही है। हर साल मेले में कम होते मवेशियों और खरीदारों की संख्या इस बात की तस्दीक करती है कि मशीन के इस युग ने जानवरों की श्रमशक्ति पर मनुष्य के विश्वास को तेजी से कम किया है।

तीर्थक्षेत्र में मप्र अंतर्गत बालाजी मंदिर के पास मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाला यह गधा मेला संभवतः राजस्थान के बाद दूसरा बड़ा मवेशी मेला है। यह दीपावली से तीन दिन तक लगता है। इसमें उप्र के ही नहीं बल्कि मप्र, राजस्थान, बिहार और यहां तक कि नेपाल से भी गधों के पारखी गधे खरीदने आते हैं। मेले में दस हजार से लेकर कई लाख तक के गधे बिकते हैं। 

औरंगजेब से जुड़ा है मेले का इतिहास

मेले का इतिहास औरंगजेब से जुड़ा है। बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब जब यहां बालाजी मंदिर में तोड़फोड़ करने जा रहा था तो उसके लावलश्कर में शामिल लोग बीमार पड़ने लगे थे। हाथी-घोड़े मंदाकिनी के किनारे मूर्छित हो गए थे। इस पर मंदिर के पुजारी बालकदास महराज ने मंदिर की पूजा की भभूत औरंगजेब और उसकी सेना के ऊपर छिड़क दिया था, तब तत्काल उसकी सेना उठकर खड़ी हो गई थी। 

इससे प्रभावित होकर औरंगजेब ने मंदिर में तोड़फोड़ का विचार त्याग दिया था और मंदिर को 300 बीघे जमीन दान में दी। लगान माफ कर दिया था। यहां पर उसने गधों-खच्चरों, घोड़ों का मेला भी लगवाया था। तब से इस मेले की परंपरा चली आ रही है।

व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी

गधों के खरीदार और विक्रेताओं ने हर बार की तरह इस बार भी नगर पंचायत की व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताई। यहां फैली गंदगी और अन्य अव्यवस्थाओं पर रोष जताते हुए कई लोगों ने बताया कि यहां 500 रुपये प्रति गधा टोकन लिया जाता है पर सुविधाओं को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। 

लोगों का इस मेले से मन उचाट होने का यह भी एक कारण है। बांदा से आए रामशरण सोनकर ने बताया कि उसने इस बार दो जानवर खरीदे हैं। एक साढ़े ग्यारह हजार का और दूसरा सोलह हजार का। प्रयागराज से आए व्यापारी नेमी ने बताया कि वह गधा बेचने और खरीदने आया है।  

शाहरुख से महंगा बिका लारेंस

इस गधे मेले की एक खास बात यह भी है कि यहां आने वाले गधों-खच्चरों के नाम या तो फिल्म अभिनेता या फिर किसी चर्चित व्यक्ति के नाम पर होते हैं। पिछले कई सालों से सलमान नाम के गधे की बिक्री सबसे महंगी होती रही है पर इस साल लारेंस विश्नोई ने बाजी मार दी। लारेंस नामका गधा एक लाख चालीस हजार का बिका। इसने शाहरूख का भी रिकार्ड तोड़ दिया, जो सत्तर हजार का बिका था। 

नई पीढ़ी को नहीं है रुचि

मेले के संचालक रमेश पांडेय बताते हैं कि इस साल मेले में कम जानवर पहुंचे हैं। मांग भी कम है। मवेशी यहां पुराने गधे बेचकर नए खरीदने की परंपरा निभाते हैं। नई पीढ़ी इस धंधे को नहीं करना चाह रही, इस मेले में मवेशियों के कम आने और भीड़ कम होने की भी एक वजह है।

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