महत्वपूर्ण प्रगति

महत्वपूर्ण प्रगति

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर बनी सहमति के बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया कि भारत-चीन की सेना देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने के लिए सहमत हो गई हैं।

इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम से आमने- सामने के टकराव की स्थिति दूर होगी। अहम बात है कि इस सफलता की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूसी शहर कजान की यात्रा से एक दिन पहले हुई है। भारतीय और चीनी वार्ताकार मुद्दों को सुलझाने के लिए पिछले कुछ हफ्तों से संपर्क में थे।

यह सहमति प्रधानमंत्री को स्पष्ट शब्दों में और उच्चतम स्तर पर भारत के रुख को मजबूती से रेखांकित करने का अवसर देगी कि संबंध शांति पर आधारित हैं और संबंधों का भविष्य चीन द्वारा यथास्थिति बहाल करने पर निर्भर करता है। गौरतलब है कि जून 2020 में दोनों देशों के बीच गलवान में विवाद हुआ, इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीन को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ था। गश्त की व्यवस्था पर सहमति बनने से वर्ष 2020 में बने गतिरोध के पूर्ण समाधान का रास्ता खुल गया है। 

अगर अप्रैल 2020 से पहले वाली यथास्थिति की बहाली होती है तो ये मोदी सरकार के लिए एक व्यापक कूटनीतिक जीत होगी। मूल रूप से, इसका मतलब ये होगा कि पूर्वी लद्दाख में विवाद के जिन पांच बिंदुओं पर चीन जबरदस्ती करना चाह रहा था, उसके खिलाफ भारत का जवाबी दबाव काम आया। विवाद के ये पांच बिंदु हैं देपसांग बुलगे, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स, गलवान, और पैंगोंग त्सो और डेमचोक के दोनों दक्षिणी क्षेत्र और उत्तरी तट। अगर यहां अप्रैल 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल होती है तो ये परिदृश्य या परिणाम भारत के लिए बहुत बड़ी बात होगा। भारत ने शुरुआत से ही जोर दिया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों के सामान्यीकरण के लिए आवश्यक है।

पिछले दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में कहा था कि भारत-चीन सीमा विवाद में 75 प्रतिशत प्रगति हुई है, जो पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी से संबंधित है। भारत-चीन संबंध एशिया और दुनिया के भविष्य को प्रभावित करेंगे। कुल मिलाकर भारत और चीन ने एलएसी पर अलग-अलग मुद्दों पर  महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके तहत उन सभी मुद्दों के समाधान तलाशना भी शामिल है, जो अप्रैल 2020 से पहले से दोनों पक्षों के बीच टकराव का कारण बने हैं।