न्यूयॉर्क में बोलीं निर्मला सीतारमण- वृद्धि के नए अवसरों का लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है भारत
न्यूयॉर्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक आर्थिक माहौल चुनौतियां पेश कर सकता है, लेकिन भारत वृद्धि के नए अवसरों का लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब देश अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, तो भारत को उम्मीद है कि वह वस्तुओं व सेवाओं के स्रोतों में विविधता लाने के इच्छुक कई देशों के लिए प्रमुख साझेदार बनेगा। सीतारमण ने सोमवार को कोलंबिया विश्वविद्यालय में ‘चुनौतीपूर्ण तथा अनिश्चित वैश्विक माहौल के बीच भारत की आर्थिक मजबूती व संभावनाएं’ विषय पर विशेष व्याख्यान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने तथा बाहरी झटकों के प्रति मजबूती विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘ हालांकि पिछले दशकों में व्यापक बहुपक्षीय व्यापार के कारण वैश्विक वृद्धि हुई है लेकिन मेरा मानना है कि आने वाले वर्ष रणनीतिक आर्थिक साझेदारियों द्वारा परिभाषित होंगे और भारत इस परिवर्तन का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक वातावरण चुनौतियां पेश कर सकता है, लेकिन ‘‘ भारत वृद्धि के नए अवसरों का लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ अधिक विखंडित वैश्विक अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना, जिसमें पुनर्परिभाषित गठबंधन तथा बदलते व्यापार तरीके शामिल हैं...वास्तव में भारत के लिए लाभकारी हो सकता है। जैसे-जैसे राष्ट्र अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्मूल्यांकन करते हैं, भारत को उम्मीद है कि वह वस्तुओं व सेवाओं के अपने स्रोतों में विविधता लाने की चाह रखने वाले कई देशों के लिए एक प्रमुख भागीदार बन जाएगा।
Union Minister for Finance and Corporate Affairs Smt. @nsitharaman delivers the keynote address on 'India's Economic Resilience and prospects amidst a challenging and uncertain global environment' at the Columbia University @Columbia, in New York, USA, today. pic.twitter.com/aIWGcWH4GZ
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) October 21, 2024
भारत की आर्थिक नीतियों पर इस व्याख्यान का आयोजन कोलंबिया के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में दीपक एवं नीरा राज सेंटर द्वारा किया गया था। सीतारमण मैक्सिको की यात्रा संपन्न करने के बाद रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचीं। मैक्सिको में उन्होंने ग्वाडलजारा में टेक लीडर्स राउंडटेबल की अध्यक्षता की थी। मंत्री ने ग्वाडलजारा में टीसीएस मुख्यालय का दौरा भी किया था। न्यूयॉर्क में उन्होंने न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में ‘भारत में निवेश के अवसर’ पर एक गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया।
साथ ही आईबीएम के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अरविंद कृष्ण के साथ उन्होंने भारत के दशकीय आर्थिक सुधारों तथा आर्थिक वृद्धि पर एक चर्चा में हिस्सा लिया। न्यूयॉर्क से सीतारमण वाशिंगटन डीसी जाएंगी। वहां वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) तथा विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों, जी-20 वित्त मंत्रियों व केंद्रीय बैंक गवर्नर (एफएमसीबीजी) की बैठकों, जी-20 एफएमसीबीजी, पर्यावरण मंत्रियों एवं विदेश मंत्रियों की संयुक्त बैठक और जी-7 - अफ्रीका मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेंगी। भाषा निहारिका
जटिल होते वैश्विक परिवेश में भी भारत का आर्थिक नींव मजबूत-सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि वैश्विक परिवेश के लगातार जटिल होते जाने के बावजूद भारत के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे मजबूत बने हुए हैं, जो भविष्य के विकास के लिए एक मजबूत आधार के रूप में काम कर रहे हैं। सीतारमण ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक परिचर्चा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि 2013 में, भारत बाजार विनिमय दरों पर दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। वर्तमान में, यह पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है कि यह 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। वैश्विक विकास में भारत के योगदान में अगले पाँच वर्षों में 200 आधार अंकों की वृद्धि होने का अनुमान है।
वित्त मंत्री ने सिटीबैंक की सीईओ से मुलाकात की
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को यहां सिटीबैंक की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जेन फ्रैसर से मुलाकात की और दशकीय सुधारों तथा भारत के भविष्य के मद्देनजर बैंकिंग क्षेत्र पर चर्चा की। वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर जानकारी दी, दोनों ने कृषि तथा शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल के साथ-साथ भारत के तेजी से बढ़ते औषधि क्षेत्र ... पर चर्चा की। फ्रैसर ने भारत के डिजिटल भुगतान परिवर्तन के लिए वित्त मंत्री की सराहना की। उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए परिवेश तैयार करने के वास्ते बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु भारत द्वारा किए गए महत्वपूर्ण सुधारों की सराहना की और कहा कि एमएसएमई को आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा बनाना महत्वपूर्ण है।
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