शाहजहांपुर: प्रभु श्रीराम का बाण लगते ही धराशाई हुआ महाबली रावण

ओसीएफ रामलीला का दशहरा देखने उमड़ा जनसैलाब

शाहजहांपुर: प्रभु श्रीराम का बाण लगते ही धराशाई हुआ महाबली रावण

शाहजहांपुर, अमृत विचार। ओसीएफ रामलीला में रविवार को दशहरा मनाया गया। लीला मंचन का शुभारंभ राम और रावण अंतिम युद्ध के लिए चिंतन करने से किया गया। इसके बाद रावण का शिवलिंग के समक्ष क्रोधित होना, राम-रावण युद्ध और लक्ष्मण का रावण से उपदेश लेने तक लीला दिखाई गई। इसके बाद रावण, कुंभकरण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों को विभीषण ने अग्नि को समर्पित कर दिया।

ओसीएफ दशहरा देखने के लिए उमड़ी भीड़ से मैदान छोटा पड़ गया और आसपास के सभी रास्ते बंद हो गए। उमड़ती भीड़ को रोकने के लिए आयोजकों ने समय से पहले ही राम-रावण युद्ध लीला का मंचन कराकर पुतला दहन करा दिया। इसके बावजूद मेला प्रदर्शनी देखने को लालायित लोग परिवार के साथ धक्का-मुक्की करते हुए धीरे-धीरे मैदान में प्रवेश करते रहे। तरह-तरह के झूले और खेल-तमाशा देखने को लंबी कतारें लगी रहीं। अपनी बारी का इंतजार करते हुए भी लोग आनंदित हो रहे थे। वहीं, फूड जोन में भी सभी दुकानें फुल चलती रहीं। लाखों की भीड़ का अनुमान लगाया जा रहा था। भीड़ के कारण मेला प्रदर्शनी में लगीं सैकड़ों छोटी-बड़ी दुकानों पर लोग जरूरत का सामान और बच्चों के लिए खेल-खिलौने खरीदने को उमड़ते रहे। महिलाओं ने घर-गृहस्थी के लिए बर्तन, क्रॉकरी आदि के साथ श्रृंगार सामग्री भी खूब खरीदी। ग्रामीण महिलाएं-पुरुष मिट्टी के बर्तन खरीदते दिखे। भीड़ का आलम यह था कि आधी रात तक लोग झूला झूलने के लिए लाइन में लगे रहे।

इससे पहले लीला मंचन में दिखाया गया कि रावण की सेना में कोई प्रमुख सैनिक या रावण के परिवार का योद्धा नहीं बचने पर रावण को ही मैदान में उतरना था। दोनों ओर से युद्ध की रणनीति बनाई जा रही थी। राम-रावण का घमासान युद्ध हुआ। पुष्पक विमान के रूप में फैक्ट्री के लिफ्टर उपयोग में लाए गए। मंच के साथ सामने मैदान में भी युद्ध के दृश्य मंचित किए गए। रावण को मारने के लिए राम ने कोई भी कोरकसर नहीं छोड़ी लेकिन सफलता नहीं मिलने पर चिंतित विभीषण ने राम को बताया कि उसके भाई रावण की नाभि में अमृत है, जिस कारण उसे मारा नहीं जा सकता। इस पर राम ने उसकी नाभि में आग्नेयास्त्र मार कर उसे धराशाई कर दिया। रावण के भूमि पर गिरते ही रामादल में जय-जयकार होने लगी। राम ने लक्ष्मण को रावण से सीख लेने के लिए भेजा। रावण को वीरगति मिलते ही विभीषण ने भाई रावण कुंभकरण और भतीजे मेघनाद के विशालकाय पुतलों को एक-एक कर अग्नि को समर्पित कर दिया। चारों ओर राम, लक्ष्मण, हनुमान की जय जयकार गूंजती रही।

इसी बीच कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने ओसीएफ महाप्रबंधक राजेश कुमार वर्मा, अपर महाप्रबंधक एके वर्मा, उप महाप्रबंधक ऋषि बाबू, अमन कुमार, एम शिवशंकर, राजेश कंचन, अनु सक्सेना समेत अन्य अधिकारियों और कर्मचारी नेताओं के परिजनों और विशिष्टजनों के साथ आतिशबाजी का आनंद लिया। आतिशबाजी के अद्भुत नजारे आकाश और जमीन पर सतरंगी छटा बिखेरते रहे।