प्रयागराज : दुर्घटना में 75% अपाहिज हो चुकी ढाई साल की बच्ची को 23 लाख मुआवजा देने का निर्देश

प्रयागराज : दुर्घटना में 75% अपाहिज हो चुकी ढाई साल की बच्ची को 23 लाख मुआवजा देने का निर्देश

प्रयागराज, अमृत विचार।  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 साल पुराने एक दुर्घटना मामले में 75% अपाहिज हो चुकी बुलंदशहर निवासी ढाई साल की बच्ची को 23 लाख मुआवजा देने का निर्देश देते हुए कहा कि दुर्घटना के समय नाबालिग बच्ची/अपीलकर्ता की विकलांगता ने उसके विवाह की संभावनाओं को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है। दावा न्यायाधिकरण ने इस बात पर विचार नहीं किया कि  विकलांगता के कारण अपीलकर्ता के विवाह की संभावनाएं काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो गई थीं और उसे हताशा, निराशा, परेशानी और असुविधा का सामना करना पड़ रहा था।

उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की एकल पीठ ने कुमारी चीनू की तरफ से उसकी मां द्वारा दाखिल अपील स्वीकार करते हुए की। मामले के अनुसार 22 अगस्त 2005 में दो वर्षीय बच्ची अपने माता-पिता के साथ कार से आगरा से बुलंदशहर के रास्ते जा रही थी, तभी तेज गति और लापरवाही से चलाई जा रही एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी। दुर्घटना के कारण बच्ची 75% तक स्थायी रूप से विकलांग हो गई। उसकी माँ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, बुलंदशहर के समक्ष 36,05,000 रुपये के मुआवजे का दावा करते हुए दावा याचिका दाखिल की।

ट्रिब्यूनल ने 8 अगस्त, 2007 को अपने आदेश में दोनों ड्राइवरों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जिस कार में दावेदार बैठी थी, उसके ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस नहीं था। अतः ट्रिब्यूनल ने कुल मुआवज़ा 2,17,715 रुपये निर्धारित किया। उक्त आदेश के खिलाफ मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए बच्ची की ओर से उसकी मां ने हाईकोर्ट में वर्तमान अपील दाखिल की। मामले की स्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रिब्यूनल ने दोनों वाहन चालकों की समग्र लापरवाही मानते हुए मुआवजे के निर्धारण में गलती की है।

कोर्ट ने ट्रक ड्राइवर की गलती मानते हुए कहा कि दावेदार का अभी भी इलाज चल रहा है, इसलिए  चिकित्सा व्यय, परिचारिका व्यय,भविष्य की संभावनाओं,विकलांगता की प्रकृति को देखते हुए विशेष आहार के लिए और विवाह खर्च के रूप में ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को आदेश से दो महीने के भीतर अपीलकर्ता को ब्याज सहित बढ़ी हुई राशि यानी 23 लाख 69 हजार 971 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। आदेश का पालन न करने की स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी बढ़ी हुई राशि पर 10% की दर से ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगी।