मुइज्जू का भारत दौरा

मुइज्जू का भारत दौरा

मालदीव हिंद महासागर में अत्यधिक रणनीतिक महत्व रखता है, जो अरब सागर और उससे आगे के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। मालदीव भारत की मुख्य भूमि से दक्षिण-पश्चिम तट के करीब हिंद महासागर में स्थित द्वीप समूह से बना एक देश है। मालदीव के साथ भारत के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के नेताओं की टिप्पणी के बाद दोनों देशों के रिश्तों में दूरियां आ गई थीं। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के भारत दौरे से मालदीव और भारत के रिश्तों में आई कडुवाहट दूर करने की रणनीति सफल होती दिख रही है। सोमवार को भारत और मालदीव ने द्विपक्षीय सहयोग को ‘समग्र आर्थिक एवं समुद्री सुरक्षा साझीदारी’ के रूप में आगे बढ़ाने की घोषणा की।

पिछली कड़वी बातों को भुलाकर मालदीव के राष्ट्रपति का आगे बढ़ना उनका कूटनीतिक यू-टर्न कहा जा रहा है। भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और ‘सागर’ विज़न में मालदीव का महत्वपूर्ण स्थान है। जब भी कोई संकट आया, जैसे-सुनामी या पेयजल की कमी, भारत ने मालदीव की सहायता की है। इस बीच बदले वैश्विक हालात में भारत के पड़ोसी देशों में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है।

मालदीव,  भारत और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता का केंद्र बनता दिखा। दोनों देशों के रिश्तों में हुई उथल-पुथल के चलते भारतीय सैन्यकर्मियों को मालदीव से निकालना और इंडिया आउट मोहम्मद मुइज्जू के चुनावी कैंपेन का हिस्सा रहा। इसके बावजूद भारत ने द्विपक्षीय रिश्ते को फिर से पटरी पर लाने के लिए कूटनीति प्रयास जारी रखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुइज्जू से मुलाकात की थी और पेचीदा मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत के लिए एक उच्चस्तरीय कोर ग्रुप का गठन किया। अब भारत पहुंचने पर राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि उनका देश भारत की सुरक्षा को कमजोर करने वाला कोई काम नहीं करेगा। 

दरअसल मालदीव पर भारी कर्ज है। ऐसे में मालदीव को भारत से बहुत उम्मीदें हैं। राष्ट्रपति मुइज्जू को इस बात का अहसास रहा कि दोनों पक्ष शांति के फायदों पर गौर करें। दोनों देशो के बीच पनपे तनाव सिर्फ उन समस्याओं के लक्षण हैं, जो बड़ी बन सकती हैं। महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि मुइज्जू की यात्रा से हमारे संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ रहा है। मालदीव के लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए भारत अपना हरसंभव सहयोग देता रहेगा।

हिन्द महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए हम मिलकर काम करेंगें। वास्तव में  पड़ोसी प्रथम नीति के अनुरूप दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत की इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है।  इस दृष्टि से द्विपक्षीय संबंधों में आया बदलाव भारत और मालदीव दोनों के लिए अच्छा है।