लखनऊ : बजट 150 करोड़ का फिर भी केन्द्र-राज्य का ड्रीम प्रोजेक्ट बेपटरी

कौशल विकास मिशन के भविष्य पर सवाल, उप्र. के 2677 ट्रेनिंग सेंटर के संचालक निराश 

लखनऊ : बजट 150 करोड़ का फिर भी केन्द्र-राज्य का ड्रीम प्रोजेक्ट बेपटरी

दस लाख रु. की एफडी जमाकर चुके सैकड़ों प्रशिक्षणदाताओं के सामने संकट 

अजय दयाल, लखनऊ, अमृत विचार। लगभग डेढ़ सौ करोड़ का बजट है पर लक्ष्य नहीं। लगभग ढाई हजार प्रशिक्षण केन्द्र हैं लेकिन यहां सन्नाटा पसरा है। लाखों युवा तकनीकी प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार करने को लालायित हैं लेकिन अभी अवसर नहीं। स्टार्टअप और ट्रेनिंग पार्टनर्स को भविष्य की चिंता सताने लगी है। कुलमिलाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक ड्रीम प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश में बेपटरी हो रहा है। यह ड्रीम प्रोजेक्ट है कौशल विकास मिशन का। इसका प्रमुख उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर दिलाना या स्वरोजगार में मदद करने का है।

फिलहाल स्थिति यह है कि साल 2024-25 में 01 अप्रैल से शुरु हुए सत्र में एक भी नयी ट्रेनिंग शुरु नहीं हुई। ऐसे में उप्र. के 2677 ट्रेनिंग सेंटर के संचालक गहरी निराशा में हैं। सत्र 2022-23 में इन्हीं ट्रेनिंग सेंटर की संख्या 2276 थी जिसमें 2023-24 में 400 की बढ़ोत्तरी हो गई थी। आईटीआई और पॉलिटेक्निक सेंटर को छोड़ ऐसे निजी प्रशिक्षण केन्द्र जो किराए पर हैं उनके सामने आर्थिक संकट है। यही नहीं दस लाख रुपये की एफडी जमाकर न्यू स्टार्टअप पॉलिसी के तहत काम पाने वाले सैकड़ों प्रशिक्षणदाताओं के सामने अब खुद बेरोजगारी का संकट खड़ा होने वाला है। इनमें तमाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर दस लाख की एफडी मिशन में जमा की है।

उपलब्धि वाले रहे पिछले दो सत्र

साल 2022-23 और 2023-24 के सत्र उपलब्धि वाले रहे। उन सत्रों में क्रमश: 3.48 लाख पंजीकृत युवाओं में से 1.55 ने ट्रेनिंग ली और 97,286 को अलग-अलग सेक्टर्स में नियुक्ति भी मिल गई। इसके बाद 3.49 लाख युवाओं ने ट्रेनिंग हासिल करने को पंजीकरण कराया। इनमें से 2.23 ने प्रशिक्षण पूरा किया और 1.30 को रोजगार भी मिला। 

अभी तक किसी भी प्रशिक्षणदाता को टारगेट नहीं

वित्तीय वर्ष 23-24 के लिए प्रशिक्षणदाताओं को टारगेट फरवरी 2022 में ही दे दिया गया था। इससे प्रशिक्षणदाताओं को तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी मिल गया था और जिन लोगों ने किराए आदि प्रशिक्षण केंद्र बनाएं हैं, उन्हें भी पर्याप्त समय मिल गया था। वह बताते हैं कि इस बार अभी तक किसी भी प्रशिक्षणदाता को टारगेट नहीं दिया गया है। 

उप्र. कौशल विकास मिशन के निदेशक अभिषेक सिंह ने बताया कि अभी हमें टारगेट नहीं मिला है, टारगेट मिलते ही ट्रेनिंग शुरु कर दी जाएगी। बजट की कोई समस्या नहीं है। संभवत: अगले माह इस सत्र के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मूर्त रूप दे दिया जाएगा।

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