बाराबंकी: मलेरिया विभाग के लिए मलेरिया से लड़ाई बड़ी चुनौती, 15 ब्लाकों पर महज चार निरीक्षक

स्वयं विभाग, पर जरूरतों के लिए ताकता है मुंह, जनवरी से अब तक सामने आए 37 केस

बाराबंकी: मलेरिया विभाग के लिए मलेरिया से लड़ाई बड़ी चुनौती, 15 ब्लाकों पर महज चार निरीक्षक

योगेश शर्मा/बाराबंकी, अमृत विचार। देश को मलेरिया जैसी घातक बीमारी से मुक्त कराने की दिशा में प्रयासरत सरकार ने इसे शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है, पर बात जिम्मेदार विभाग के संसाधनों की करें तो यह नाकाफी ही कहा जाएगा। मलेरिया से निपटने के लिए जरूरत पड़ने पर निसंदेह स्वास्थ्य व अन्य विभागों की लंबी चौड़ी संयुक्त फौज तैयार है, लेकिन स्वयं मलेरिया विभाग जरूरी सुविधाओं से जूझ रहा है। बाराबंकी में ही एक मलेरिया अधिकारी और चार निरीक्षकों पर पूरे जिले की जिम्मेदारी है, उस पर स्याह पहलू यह कि किसी भी जरूरत के लिए उन्हें कागजी खानापूरी करनी पड़ती है। सीधी बात यह कि इतना बड़ा दायित्व होने के बाद भी दूसरों का मुंह ताकना इनकी विवशता है, एक अदद कागज के लिए भी।  

मलेरिया जैसी घातक बीमारी के बारे में हर कोई जानता है बस फर्क यह है कि लंबे समय से यह महामारी का रूप नहीं ले सका। समय रहते इलाज और सुधरते रहन सहन से इसके मामले सिमटते चले गए। वैसे भी केन्द्र में रही सरकारों ने इस बीमारी पर लगाम लगाने के भरसक प्रयास किए पर इसे पूर्ण रूप से खत्म नहीं किया जा सका। बात जिम्मेदार विभाग की करें तो हालात परेशान करने वाले हैं। 

बाराबंकी जिला मुख्यालय स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में प्रवेश के बाद बिल्कुल आखिर में पड़ने वाले भवन में कई कार्यालय हैं, उन्ही में एक कमरे का कार्यालय मलेरिया विभाग का भी है। जहां जिला मलेरिया अधिकारी का बैठना होता है। अन्य स्टाफ की बात करें तो तुलनात्मक दृष्टि से ऊंट के मुंह में जीरा है। जिला स्तर का अधिकारी तो है पर अगर विकास खंड वार मलेरिया निरीक्षकों की संख्या पर नजर डाली जाए तो महज चार ब्लाकों में ही निरीक्षक तैनात हैं, बाकी ग्यारह ब्लाक निरीक्षक विहीन। 

यही नहीं संसाधन की बात करें तो इन्हे एक अदद कागज के लिए भी कागजी खानापूरी करनी पड़ती है, मतलब यह अपने स्तर पर एक पेन भी नहीं खरीद सकते। इसके लिए इन्हे मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आश्रित रहना होगा। मलेरिया जांच के लिए किट का भी यही हाल है, जाहिर है इनके खत्म होने से पहले ही पत्राचार करना जरूरी हो जाएगा। दरकार यही है कि सुविधाएं और संसाधनों में बढ़ोत्तरी हो तो मलेरिया केसों से आपात स्थिति में भी निपटा जा सके।

37 केस मलेरिया के आए, सभी स्वस्थ
बाराबंकी में सामने आए मलेरिया के मामलों पर नजर डालें तो जनवरी से अब तक कुल 37 मामले मलेरिया के सामने आए। इनकी जांच कराकर इलाज के लिए लखनऊ भेजा गया। समय से इलाज मिल जाने के चलते यह सभी स्वस्थ हो गए और सामान्य जीवन जी रहे हैं। कोई भी केस मिलने पर जांच के बाद उसे ईलाज के लिए राजधानी ही भेजना पड़ता है।  

क्या है मलेरिया, यह कितना खतरनाक
मलेरिया प्लास्मोडियम नामक प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होता है और यह एनोफिलीज (मादा) मच्छर द्वारा फैलता है जो गंभीर जानलेवा बीमारी का कारण बनता है। मलेरिया बुखार के लक्षण आमतौर पर प्लास्मोडियम संक्रमित मच्छर (मलेरिया वेक्टर) द्वारा संक्रमण के दिन से दो सप्ताह (10-14 दिन) के भीतर दिखाई देते हैं। मलेरिया के शुरुआती लक्षणों में सर्दी, सिरदर्द और ठंड लगने के साथ तेज बुखार शामिल हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अवधेश कुमार यादव कहते हैं कि स्टाफ की कमी शासन स्तर का मामला है। मलेरिया विभाग जिले भर में मौजूद संसाधनों, स्वास्थ्य केन्द्रों व अन्य विभागों के साथ मिलकर काम करता है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार है।

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