भारत के लिए अच्छी शुरुआत

भारत के लिए अच्छी शुरुआत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की संरचना में सुधारों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। भारत लगातार आवाज उठाकर पहली बार यूएनएससी पर दबाव बनाने में सफल रहा है। परिणामस्वरुप यूएनएससी में सुधारों की पहल लिखित रूप से शुरू हो गई है। सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता समेत अन्य सुधारों को लेकर पहली बार एक विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया जाना भारत की कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि इससे भारत को सुरक्षा परिषद में अपनी स्थिति सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।

विश्व के नेताओं ने भविष्य के जिस समझौते को सर्वसम्मति से स्वीकार किया है, उसमें सुरक्षा परिषद में सुधार करने, इसमें प्रतिनिधित्व बढ़ाने, इसे अधिक समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार करने का वादा किया गया है। ये मुद्दा अमेरिका में हाल ही में क्वाड समिट के दौरान भी उठा।

रविवार को क्वाड नेताओं ने यूएनएससी की सीटें बढ़ाने और इस निकाय को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए इसमें सुधार का आह्वान किया। अमेरिका ने भी यूएनएससी में भारत की स्थायी सीट की मांग का समर्थन किया है। क्वाड में यूएनएससी का मुद्दा उठना भारत के लिए सफलता है। भारत के लिए ये अहम है क्योंकि उसकी ओर से लगातार यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग की जा रही है। 

गौरतलब है कि भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से विश्व शांति को बढ़ावा देने वाली रही है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे हिंद महासागर को शांति का क्षेत्र घोषित किया जा सकता है और यह चीन को उसकी विस्तारवादी नीतियों का उचित जवाब होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता भारत को वैश्विक राजनीति के स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के समकक्ष ला खड़ा कर देगी।

सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में हुआ था। सुरक्षा परिषद के स्थायी पांच सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है। परिषद की वर्तमान संरचना पहले की शक्ति संतुलन की व्यवस्था पर बल देती है। यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती। ध्रुवीकृत सुरक्षा परिषद शांति और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भी विफल रही है। उसके सदस्य यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष जैसे मुद्दों पर बंटे हुए हैं। इसलिए सुरक्षा परिषद में सुधार आवश्यक हैं। सुधार की पहल संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में मुद्दे को शामिल किए जाने से होना भारत के लिए एक अच्छी शुरुआत है।