इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डाक विभाग पर की टिप्पणी, कहा- महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भेजने के लिए Postal Department की सेवा पर भरोसा उचित नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डाक विभाग पर की टिप्पणी, कहा- महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भेजने के लिए Postal Department की सेवा पर भरोसा उचित नहीं

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईआईटी, कानपुर द्वारा जूनियर अस्सिटेंट के पद पर नियुक्ति पत्र को भेजने की प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि क्या आईआईटी, कानपुर जैसे संस्थान द्वारा नियुक्ति पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज को पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजना उचित है जबकि प्रवेश पत्र तथा अन्य पत्राचार ईमेल के माध्यम से किए गए।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि नियुक्ति का प्रस्ताव भी उम्मीदवार को सूचित करते हुए ईमेल के जरिए भेजा जाना चाहिए था। समय सीमाबद्ध दस्तावेज के लिए डाक विभाग की सेवा पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। संस्थान के ऐसे अतार्किक रवैये पर कोर्ट ने विपक्षियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। उसके बाद एक सप्ताह के अंदर याची को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है।

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रणव कुमार की याचिका पर विचार करते हुए मामले को आगामी 11 नवंबर 2024 के लिए सूचीबद्ध कर दिया। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची को उक्त पद के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा में प्रवेश पत्र ईमेल के माध्यम से भेजा गया था, लेकिन नियुक्ति पत्र ईमेल की अपेक्षा पंजीकृत डाक से भेजा गया। याची का तर्क है कि आईआईटी जैसे संस्थान को नियुक्ति पत्र भी ईमेल के जरिए भेजना चाहिए था। पंजीकृत डाक से याची को पत्र देर से प्राप्त हुआ, जिसके कारण वह समय पर जवाब नहीं दे सका और संस्थान द्वारा नियुक्ति पत्र भेजने की प्रक्रिया से व्यथित होकर वर्तमान याचिका दाखिल की।

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