जो दाउद को मारने पहुंच गया था पाकिस्तान, जूना अखाड़े ने उसी माफिया को बना दिया मठाधीश, मचा बवंडर

अल्मोड़ा जेल में काट रहे आजीवन कारावास की सजा

जो दाउद को मारने पहुंच गया था पाकिस्तान, जूना अखाड़े ने उसी माफिया को बना दिया मठाधीश, मचा बवंडर

प्रयागराज, अमृत विचार। संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ से पहले जूना अखाड़ा के संतो में हंगामा खड़ा हो गया है। जूना अखाड़ा ने माफिया डान प्रकाश पाण्डेय उर्फ पीपी को पंच दशनाम जूना अखाड़ा का मठाधीश बना दिया है। जिसको लेकर संतो में खासा नाराजगी है। 

बता दें कि अल्मोड़ा जेल बंद प्रकाश पाण्डेय पीपी को आजीवन कारावास की सजा मिली है। माफिया डॉन प्रकाश पांडेय ' पीपी' को जूना अखाड़े में शामिल करते ही उनका नया नाम प्रकाशानंद गिरि दे दिया गया है। इसके दो दिन पहले प्रकाशानंद को जेल में ही श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का संत और मठाधीश बनाने का फरमान जारी कर दिया गया था। 

इसकी जानकारी संत समाज में होते ही हंगामा खड़ा हो गया है। प्रकाश पाण्डेय के मठाधीश बनने को लेकर संत समाज में भी आलोचना की जा रही है। हलांकि तमाम चर्चाओं और आलोचना के बाद अखाड़ा प्रबंधन ने अपने कदम को पीछे कर लिया है। मालूम हो कि माफिया पीपी दाऊद इब्राहिम को मारने के लिए कराची जा पहुंचा था। 

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरि ने कहा कि इस मामले पर जांच की जा रही है। हर किसी को जीवन में स्वेच्छा से सनातन की शरण में आने का अधिकार है, इसलिए सनातन की शरण में आए माफिया पीपी को अकेला छोड़ उससे किनारा नहीं किया जा सकता है।

शिक्षक दिवस पर ली थी दीक्षा

माफिया पीपी ने बीते गुरुवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि ओर अगुवाई में 11 संतों के प्रतिनिधिमंडल से सामने शामिल हुए थे। इसमें तीन सदस्यों ने अल्मोड़ा जेल के अंदर जाकर दीक्षा दी थी। 

प्रकाशानंद गिरी को अंसेश्वर मठ, मुनस्यारी माता का मठ, गंगोलीहाट में लमकेश्वर, यमुनोत्री में भैरव और भद्रकाली मंदिर का उत्तराधिकारी यानी मठाधीश बनाए जाने की घोषणा किया था। यहां भी कहा जा रहा है कि प्रकाश पाण्डेय छोटा राजन का खास रहा है। 

पीपी उत्तराखंड के रानीखेत में स्थित खनौइया गांव का मूल निवासी है। उसका 1990 के दशक में कुमाऊं मंडल में क्राइम के मामले में नाम।कमाया था। उसका नाम नैनीताल, अल्मोड़ा, हल्द्वानी व रानीखेत में अवैध शराब, लीसा तस्करी में आया है। नब्बे के दशक में वह मुंबई पहुंचा। 

यही वह दौर था जब छोटा राजन ने दाऊद इब्राहिम से अलग होकर अपनी अलग गैंग बनाई थी। सूत्रों के मुताबिक छोटा राजन को अपनी गैंग के लिए शूटरों की जरूरत थी। उसने मुंबई में कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया 2010 में वह वियतनाम से पकड़ा गया और तब से वह जेल में बंद है।

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