Alert: हेपेटाइटिस के कारण बच्चों का खराब हो रहा लिवर, जारी की गई गाइड लाइन
लखनऊ, अमृत विचार: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और पीजीआई समेत दूसरे संस्थानों के 50 पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट ने मिलकर लिवर खराबी वाले बच्चों के इलाज और प्रबंधन की नई गाइड लाइन बनायी है। डॉक्टरों ने बताया कि 50 फीसदी बच्चों में लिवर खराबी का कारण हेपेटाइटिस ए होता है। लिवर खराबी के अन्य कारणों में हेपेटाइटिस बी व ई और ऑटो इम्यून लिवर व विल्सन रोग हैं। नए गाइड लाइन बनने से लिवर खराबी वाले बच्चों को बेहतर उपचार मुहैया कराने में मदद मिलेगी।
50 डॉक्टरों ने इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी, हेपेटोलॉजी और न्यूट्रिशन प्रथम आधिकारिक राष्ट्रीय दिशा निर्देश बनाने में योगदान दिया है। यह दिशा निर्देश देश की प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका हेपेटोलॉजी इंटरनेशनल ऑफ एशिया पैसिफिक सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लिवर डिजीज में प्रकाशित हुये हैं। यह गाइड लाइन लोहिया संस्थान के पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. पीयूष उपाध्याय और पीजीआई के पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अंशू श्रीवास्तव और डॉ. मोइनक सेन शर्मा समेत 50 डॉक्टरों ने बनायी है। लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने डॉ. पीयूष को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी हैं।
यदि बच्चा कम या अधिक सोता है तो डॉक्टर से ले सलाह
डॉ. पीयूष उपाध्याय ने बताया कि लिवर खराबी वाले बच्चों को लक्षणों के आधार पर पहचान करना आसान है। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि पीलिया या लीवर खराबी वाले बच्चे किशोर बड़ों से अधिक या कम सोते हैं। यदि बच्चे में सुस्ती, चिड़चिड़ापन, शरीर में अकड़न, बेहोशी के लक्षण हैं। तो इसे नजर अंदाज न करें। परिजन फौरन डॉक्टर की सलाह लें। उपचार में देरी से लिवर फेल्योर हो सकता है। इनमें से 40 फीसदी में लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत होती है।
लिवर फेल्योर के लक्षण-पीलिया, पेट में सूजन, रक्तस्राव, थकान, सुस्ती, चिड़चिड़ापन।
कारण- हेपेटाइटिस,ऑटो इम्यून लिवर और विल्सन रोग व दवाओं का दुष्प्रभाव।
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