प्रयागराज : प्रधानाध्यापक की व्यस्तता का हवाला देते हुए स्थानांतरण आवेदन को खारिज करना अनुचित
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर जिम्मेदाराना ढंग से आदेश पारित करने पर अधिकारियों के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारियों को ऐसे आदेश पारित नहीं करने चाहिए जो उनकी अक्षमता को उजागर करते हो। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के बावजूद प्रधानाध्यापक के प्रशासनिक कार्य में व्यस्त होने का हवाला देकर शिक्षक के स्थानांतरण आवेदन पर विचार न करना अनुचित है।
उक्त आदेश रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने अनुज कुमार अग्रवाल की याचिका को स्वीकार कर जिला विद्यालय निरीक्षक, शामली द्वारा पारित आदेश को रद्द करते हुए पारित किया। साथ ही कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत उक्त आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से दो सप्ताह के भीतर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया। दरअसल जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा शिक्षक के स्थानांतरण आवेदन को अस्वीकार करने पर शिक्षक ने हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की। याचिका के अनुसार याची गवर्नमेंट हाई स्कूल पावती कला, शामली में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं और वह गवर्नमेंट हाई स्कूल, मेरठ में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था।
याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि संस्था में स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन नीति के खंड 14 में यह प्रावधान है कि जिन संस्थाओं में एक प्रधानाध्यापक या एक कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के साथ दो से अधिक सहायक अध्यापक हैं, वहां स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन करना होगा, जिस पर जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा विचार किया जाएगा। उपरोक्त सभी अनिवार्य औपचारिकताओं को पूरा करने के बावजूद जिला विद्यालय निरीक्षक ने शिक्षक के आवेदन को इस आधार पर स्वीकार नहीं किया कि प्रधानाध्यापक जिला विद्यालय निरीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट के प्रशासनिक कार्य में व्यस्त हैं। अंत में कोर्ट ने शिक्षक के आवेदन को खारिज करने के आधार को गलत बताते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक के लापरवाह रवैया पर उन्हें फटकार लगाई।
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