भारत का जैव-दृष्टिकोण
भारत एक वृहद जैव-वैविध्य देश के रूप में पुनर्गठित है और हमारे जैविकीय संसाधनों को आर्थिक संपदा एवं रोजगार के अवसरों में परिणत करने के अवसर देता है। नवीकरणीय संसाधनों पर तैयार नवप्रवर्तित उत्पाद एवं सेवाएं औद्योगिक प्रक्रियाओं में व्यापक दक्षता लाती है, पर्यावरणीय निम्नीकरण पर नियंत्रण रखती हैं और एक अधिक जैव-आधारित अर्थव्यवस्था देती हैं।
यह सही समय है कि हम आधुनिक तकनीकों में निवेश करें और जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें। पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी प्रदूषण को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पर्यावरण के क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग बहुत बढ़ा है। जैव-आधारित उत्पादों के विकास के लिए अत्याधुनिक नवाचारों को गति देने के लिए देश में एक लचीला जैव-विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना महत्वपूर्ण है।
जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग पर्यावरण से संबंधित समस्याओं को कम करने या हल करने में मदद करता है और इस प्रकार जीवित जीवों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को साफ करता है। पर्यावरणीय समस्याओं और पारिस्थितिकी तंत्रों के समाधान के लिए जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग को पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी के रूप में जाना जाता है।
देश को एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को उच्च प्रदर्शन जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए तीन व्यापक योजनाओं (बायोई3) को मंजूरी दे दी। यह योजना पर्यावरण के अनुकूल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। ऐसे कई क्षेत्र हैं जो भारत के जैव अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दे रहे हैं।
इस क्षेत्र को प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और भारत के वर्ष 2047 तक ‘ऊर्जा आत्मनिर्भर’ बनने के दृष्टिकोण से प्रोत्साहन मिला है। इसके अलावा सरकार ने जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति में संशोधनों को मंज़ूरी दी है और जैव ईंधन उत्पादन बढ़ाने और 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की शुरुआत का निर्णय लिया है।
औद्योगीकरण, शहरीकरण और मानवजनित गतिविधियों के कारण, पर्यावरण को प्राकृतिक संसाधनों की कमी, प्राकृतिक निकायों का प्रदूषण आदि जैसे विभिन्न मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है; जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों को लागू करके, इन समस्याओं को प्रभावी ढंग से और कुशलता से हल किया जा सकता है।
कुल मिलाकर यह नीति भारत के लिए जैव-दृष्टिकोण निर्धारित करती है। सरकार की पहलों जैसे ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ को और मजबूत करेगी। यह नीति भारत के कुशल कार्यबल के विस्तार की सुविधा और रोजगार सृजन में वृद्धि प्रदान करेगी।