कोलकाता कांड में कार्रवाई न होने से आक्रोश, Kanpur में डॉक्टरों ने काली राखी बांधकर मनाया रक्षाबंधन

कोलकाता कांड में कार्रवाई न होने से आक्रोश, Kanpur में डॉक्टरों ने काली राखी बांधकर मनाया रक्षाबंधन

कानपुर, अमृत विचार। शहर में एक ओर जहां घरों में भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन को धूमधाम से मनाया गया। वहीं, डॉक्टरों के लिए वर्ष 2024 का रक्षाबंधन काला रक्षाबंधन रहा। महिला डॉक्टरों ने साथी डॉक्टरों, मरीज व तीमारदार समेत आदि लोगों को काली राखी बांधी। साथ ही घर की बेटी, बहू, बहन की तरह ही सभी युवतियों का सम्मान करने और उनको देखने व सोचने का नजरिया बदलने की शपथ भी ली। 
 
कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या से पूरे देश के डॉक्टरों के साथ ही आम लोगों में भी काफी आक्रोश है। दुष्कर्म में शामिल सभी आरोपियों व कॉलेज में घुसकर सबूतों को मिटाने वाले लोगों पर अभी तक कार्रवाई ना होने से पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों रेजीडेंट डॉक्टर छह दिन से हड़ताल में हैं, जिनमे जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर भी शामिल है। 
 
इस हड़ताल में जूनियर डॉक्टर के साथ कॉलेज के सीनियर डॉक्टर भी शामिल हो चुके हैं। सोमवार को रेजीडेंट डॉक्टरों ने हैलट इमरजेंसी के आईसीयू के बाहर पहले नारेबाजी की। उसके बाद पूरे परिसर में घूम-घूमकर घटना के विरोध में प्रदर्शन किया। वी-वांट जस्टिस, हत्यारों को फांसी दो समेत आदि नारे लगाए। हैलट में मौजूद मरीज, उनके तीमारदारों और आम लोगों को काली राखी बांधी। 
 
साथ ही बहन-बेटियों व सभी महिलाओं की इज्जत करने की शपथ दिलाई। वहीं, लोगों को जागरूक किया कि कभी कोई महिला अकेले और मुसीबत में हो तो उसकी रक्षा कर रक्षक बने, भक्षक नहीं। इस तरह की घटनाओं से महिला व उनके परिवार के लोगों का मनोबल टूटता है, जिसकी वजह से वह देश को बेहतर योद्धा नहीं मिल पाते हैं। 
 
देश को है महिला डॉक्टरों की काफी जरूरत 
 
महिला डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में ऐसी कई महिलाएं व युवतियां आती हैं, जो पुरुष डॉक्टरों से अपनी समस्याएं या लगी चोटों को दिखाने में कतराती व शर्मातीं हैं। क्योंकि वह पुरुष डॉक्टर से अपनी बातें बेहिचक नहीं बोल पातीं। ऐसे में फिर महिला डॉक्टरों को बुलाकर मरीज से जानकारी ली जाती है। 
 
ऐसा इसलिए क्योंकि देश में महिला डॉक्टरों की संख्या पुरुषों की आपेक्षा काफी कम है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में देश को महिला डॉक्टरों की काफी जरूरत है। लेकिन अगर इस प्रकार की घटनाएं होगी तो कोई भी अपनी बेटी, बहन या पत्नी को डॉक्टर की पढ़ाई के लिए नहीं भेजेगा।
 

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