Kannauj: नवाब सिंह यादव पर बढ़ेंगी दुष्कर्म व साक्ष्य मिटाने की धाराएं, कोर्ट ने इस बात पर पुलिस को लगाई फटकार...

Kannauj: नवाब सिंह यादव पर बढ़ेंगी दुष्कर्म व साक्ष्य मिटाने की धाराएं, कोर्ट ने इस बात पर पुलिस को लगाई फटकार...

कन्नौज, अमृत विचार। देशभर में सुर्खियां बटोर रहे छेड़खानी के आरोपी पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव मामले में अब उन पर नाबालिग से दुष्कर्म, साक्ष्य मिटाने, जान से मारने की धमकी देने, षड़यंत्र व मारपीट करने की धाराएं भी बढ़ेंगी। इससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। शनिवार को न्यायालय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो में करीब डेढ़ घंटे हुई बहस के बाद यह निर्णय आया है।

दरअसल, अब तक नाबालिग के साथ छेड़खानी करने का ही केस पूर्व ब्लॉक प्रमुख पर चल रहा था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की पैरवी के बाद धाराएं बढ़ाने का भी निर्णय दिया है। शासकीय अधिवक्ता नवीन दुबे ने बताया कि शनिवार को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिला जेल में बंद नवाब सिंह यादव की पेशी (सुनवाई) हुई। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अलका यादव ने अभियोजन पक्ष और आरोपी पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस को सुना। अभियोजन पक्ष ने धाराएं बढ़ाने के जो प्रपत्र व दलीलें दीं न्यायालय ने उसे स्वीकार कर लिया। 

बताया गया है कि मामले के विवेचक कोतवाल जेपी शर्मा ने कागज पेश किए थे। सुनवाई के दौरान लोगों की नजरें अदालत के निर्णय पर लगीं थीं। दोपहर बाद आए धाराएं बढ़ाने वाले फैसले के बाद कहा जा रहा है कि पीड़िता के पक्ष में केस और मजबूत हो गया है। इससे पूर्व ब्लॉक प्रमुख की मुश्किलें बढ़तीं नजर आ रहीं हैं। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता की ओर से थप्पड़ मारने का भी जिक्र किया गया है।  

औचित्यहीन हो गई जमानत याचिका

दुष्कर्म के आरोपी नवाब सिंह यादव की जमानत याचिका पर 21 अगस्त को सुनवाई होनी है। कहा जा रहा है कि जिन धाराओं में मामले की याचिका है अब वह औचित्यहीन हो गई है। कारण, केस में दुष्कर्म समेत अन्य धाराएं बढ़ाने का निर्णय हो गया है। अभियोजन पक्ष का तर्क है कि अब नए सिरे से ही न्यायालय में आरोपी पक्ष जमानत याचिका दाखिल कर सकता है। उसके बाद ही इस पर कोई फैसला आएगा। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता बोले, निर्णय सुरक्षित

पूर्व ब्लॉक प्रमुख के अधिवक्ता व पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष शिवकुमार यादव (बचाव पक्ष) ने बताया कि दोपहर दो से साढ़े तीन बजे तक न्यायालय में बहस चली। उनको ऐसा कोई निर्णय देखने को नहीं मिला है जिसमें धाराएं बढ़ाने का जिक्र है। उन्होंने बताया कि निर्णय सुरक्षित है, आगे देखने को मिलेगा। 

पुलिस ने मीडिया पर थोपी तोहमत 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना है कि बहस के दौरान पुलिस से पूछा गया कि चर्चित वीडियो कैसे वायरल हुआ तो इस पर मीडिया पर आरोप लगाए गए। कहा कि मीडिया ने ही वायरल किए हैं। इस पर कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि पास्को के मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए। 

साथ ही पूछा कि क्या वीडियो वायरल करने वालों के खिलाफ कोई प्रार्थना पत्र दिया गया है इसका जवाब पुलिस ने नहीं दिया। अधिवक्ता का कहना है कि पीड़िता व पुलिस के बयानों में विरोधाभास है। उन्होंने इसको लेकर कई प्रपत्र दाखिल किए हैं। इसकी सत्यता जांचने के लिए कोर्ट ने वेरीफिकेशन कराने की बात कही है। 

अधिवक्ता शिवकुमार यादव का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में किशोरी से रेप की पुष्टि न होने की बात सामने आई है। उन्होंने रिमांड संशोधन के लिए आपत्ति दाखिल की थी। नियम मुताबिक समय से किशोरी को वन स्टॉप सेंटर और बाल कल्याण समिति में ले जाना चाहिए था, लेकिन पुलिस उसे इधर-उधर घुमाती रही। अस्पताल के चक्कर लगाती रही।

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