प्रयागराज : वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के एक साल तक साथ ना रहने की स्थिति में तलाक संभव

प्रयागराज : वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के एक साल तक साथ ना रहने की स्थिति में तलाक संभव

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 40 साल से अलग रह रहे दंपति के विवाह- विच्छेद आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि भले ही पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश की मांग की हो, लेकिन ऐसे आदेश के पारित होने के 1 साल बाद तक अगर उसके साथी द्वारा आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में पति विवाह-विच्छेद के आदेश की मांग कर सकता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने जिला जज, रामपुर द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी द्वारा दाखिल प्रथम अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए पारित किया।

मुख्य रूप से कोर्ट ने विवाह- विच्छेद की स्थितियों को स्पष्ट करते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम,1955 की धारा 13 (1ए)(ii) में वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के पारित होने के 1 साल या उससे अधिक समय बाद तक साथ ना रहने की स्थिति में तलाक का प्रावधान है। वर्तमान मामले में पक्षकारों का विवाह वर्ष 1979 में हुआ था। वर्ष 1984 में पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए मुकदमा दाखिल किया, जिसमें उनके पक्ष में एक तरफा आदेश कर दिया गया। इसके बाद 1 वर्ष से अधिक समय बीत जाने पर भी जब दोनों पक्ष एक साथ रहने में विफल रहे तो परिवार न्यायालय ने पक्षकारों के बीच विवाह को भंग करने का आदेश पारित किया।

विवाह-विच्छेद के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षकार वर्ष 1984 के दौरान एक साथ रह रहे थे। अपीलकर्ता/पत्नी ने अपने पति (विपक्षी) को उस दौरान 5 हजार रुपए भी दिए थे। अंत में कोर्ट ने 40 वर्षों से अलग रह रहे पक्षकारों के बीच विवाह-विच्छेद के निर्णय को बरकरार रखा और अपीलकर्ता की उम्र और आर्थिक स्थिति को देखते हुए विपक्षी को उन्हें 10 लाख रुपए का स्थायी गुजारा भत्ता देने का भी निर्देश दिया।

यह भी पढ़ें- पड़ोसी की हिमाकत : घर में घुसकर महिला को बालों से खींच कपड़े फाड़े, पति को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा