कानपुर: अवनीश दीक्षित की बढ़ीं मुश्किलें...SIT की जांच में खुलासा: पावर ऑफ अटार्नी के लिए 25 लाख का ट्रांजेक्शन, खाता फ्रीज
कानपुर, अमृत विचार। कोतवाली थानाक्षेत्र में सिविल लाइंस इलाके में स्थित करोड़ों की बेशकीमती नजूल की जमीन के कब्जाने के प्रयास में जेल भेजे गए पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित और उसके साथियों की लगातार मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। मंगलवार को मामले में गठित की गई एसआईटी की जांच में एक खुलासा हुआ है कि नामजद आरोपी हरेंद्र मसीह ने अवनीश दीक्षित को नजूल की जमीन का पॉवर ऑफ अटार्नी देने के लिए 25 लाख रुपये लिए थे।
वह रुपये आनंदेश्वर एसोसिएट फर्म के खाते से हरेंद्र मसीह की संस्था के खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इसके बाद अवनीश दीक्षित ने नजूल की जमीन की देखरेख की जिम्मेदारी जीतेश झा को दे दी थी। अवनीश समेत अन्य आरोपी नजूल की जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे, मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने जीतेश झा की फर्म का खाता फ्रीज कर दिया है। इसमें वर्तमान में करीब 23 लाख से अधिक की रकम जमा है।
जमीन का सर्वे पूरा 639.37 स्क्वायर मीटर भूखंड गायब
केडीए ने नजूल की जमीन की सर्वे पूरा कर मंगलवार को अपनी रिपोर्ट एसआईटी को सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार अवनीश दीक्षित व उसके गिरोह के लोगों ने जिस नजूल की भूखंडों (ब्लॉक-15, भूखंड संख्या-69, 69 ए प 69बी ) पर कब्जे का प्रयास किया वह 5.89 एकड़ यानि 23858.29 स्क्वायर मीटर था। लेकिन जब केडीए और राजस्व की टीम ने जब मौके का मुआयना कर जमीन का सर्वे किया तो वहां मौजूदा समय में भूखंड संख्या 69 में 15688.11 स्क्वायर मीटर, 69ए में 1665.57 स्क्वायर मीटर व 69 बी में 5865.24 स्क्वायर मीटर ही मिला।
सर्वे टीम के अनुसार वर्तमान में मौके पर 639.37 स्क्वायर मीटर भूखंड कम मिली। ऐसे में पुलिस विभाग उक्त जमीन को राजस्व विभाग से भी दोबारा जांच करने की संस्तुति करेगी। वहीं इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि बाकी भूखंड को किस प्रयोग में लाया गया। एडिशनल सीपी मुख्यालय एवं क्राइम विपिन मिश्रा ने बताया कि कोतवाली में लिखे दो मामलों की गंभीरता से जांच की जा रही है। इसमें एक मामला लेखपाल तो दूसरा सैमुअल गुरुदेव ने दर्ज कराया था।
तत्कालीन डीएम ने नजूल की जमीन को डीआईओएस को दी थी जिम्मेदारी
एडिशनल सीपी मुख्यालय एवं क्राइम विपिन मिश्रा के अनुसार नजूल की जमीन पर कब्जे का विवाद काफी पुराना है। वर्ष 2010 में तत्कालीन डीएम रौशन जैकब ने मामले की जांच तत्कालीन एसडीएम को सौंपी थी। एसडीएम ने अपनी जांच में लिखा था कि आजादी से पहले वर्ष 1810 में वूमेंस यूनियन मिशनरी को उक्त जमीन 99 वर्ष फिर यूनाइटेड फॉलोशिप ऑफ क्रिश्चियन सर्विस को लीज पर दी गई थी। इसमें एक गुट इमेनुअल और दूसरा गुट सैमुअल का था।
इन दोनों के बीच जमीन कब्जेदारी को लेकर विवाद चल रहा था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दोनों पक्ष अवैध रूप से अपना दावा कर रहे हैं। नजूल की जमीन को लेकर दोनों पक्ष एक दूसरे पर रिपोर्ट दर्ज करा रहे हैं। वहीं नजूल की जमीन पर जो मैरी एंड मैरी स्कूल संचालित हो रहा है वह भी अनैतिक रूप से संचालित किया जा रहा है।
उसमें महज 38 बच्चे ही पढ़ते हैं। लिहाजा नजूल की जमीन की जिम्मेदारी तत्कालीन डीआईओएस को दी जाती है। एडिशनल सीपी का कहना है, कि ऐसे में नजूल की जमीन पर दावा करने वाले जालसाज झांसी निवासी हरेंद्र मसीह, प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित और जीतेश झा फर्जी तरीके से जमीन पर कब्जे करने पहुंचे थे।