Kanpur: एपीफैनी की अरबों की जमीन पर कब्जे का मामला: पांचों आरोपियों को नोटिस देकर दर्ज होंगे बयान

Kanpur: एपीफैनी की अरबों की जमीन पर कब्जे का मामला: पांचों आरोपियों को नोटिस देकर दर्ज होंगे बयान

कानपुर, अमृत विचार। कर्नलगंज थानाक्षेत्र में खलासी लाइन स्थित एपीफैनी की अरबों की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने के मामले में लेखपाल विपिन कुमार की तहरीर पर पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस इस मामले में पांचों आरोपियों को नोटिस देकर बयान दर्ज करने की तैयारी में है। 

इन लोगों ने जमीन होने का अपना-अपना दावा ठोंका था। जिसकी जांच जिला प्रशासन और पुलिस की टीमें कर रही थीं। इस गंभीर प्रकरण में शहर के कई सफेदपोश, पत्रकारों, कारोबारी और भूमाफियाओं का नाम आया था। लेकिन सभी के अटकलों पर मंगलवार को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद विराम लग गया। 
 
लेखपाल विपिन कुमार ने दर्ज एफआईआर में बताया कि एपीफैनी की जमीन मिशन आर्फनेज के नाम से अभिलेखों में अंकित है। इस जमीन का इस्तेमाल केवल बालिका अनाथालय के लिए मान्य है। जमीन वर्तमान में नजूल के अभिलेखों में अंकित है। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के आदेश पर तहसीलदार सदर ने एक टीम गठित की इस टीम ने मौके पर जाकर जांच की। 

जिसमें पता चला कि आरोपियों ने भूखंड में काटकर खुर्द बुर्द करते हुए दि चर्च ऑफ इंडिया के ऑफिस के नाम रजिस्टर्ड है। इस जमीन का भाग पूर्व मंत्री शिव कुमार बेरिया को भी बेचा गया। जांच में पाया गया कि ये भूमि एक विशेष प्रायोजन के लिए आवंटित की गई थी, जिसकी लीज अवधि भी समाप्त हो रही है। 

इस संबंध में एडीसीपी सेंट्रल महेश कुमार ने बताया था कि एपीफैनी मामले में लेखपाल विपिन कुमार की तहरीर पर रेव जॉनसन टी जान निवासी सेन्टव मार्क्स मिशन कंपाउंड अलीगढ़ रोड हाथरस, अनिल कुमार निवासी सिटी साइड रेलवे कालोनी, अर्पित मिश्रा निवासी गंगापुर यशोदानगर चकेरी, दीपक कुमार निवासी किदवईनगर और दुर्योधन कुमार निवासी केडीए कालोनी गंगा विहार के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटचरित तरीके से दस्तावेजों से छेड़छाड़ और संपत्ति हड़पने के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच की जा रही है। रिपोर्ट दर्ज होने से पहले मंडलायुक्त अमित गुप्ता, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, ए़डीएम व अन्य प्रशासनिक अफसरों ने जमीन का निरीक्षण किया था। एडीसीपी का कहना है, कि आरोपियों को नोटिस देकर बयान दर्ज किए जाएंगे। 

रिपोर्ट दर्ज होते ही अटकलों पर लगा विराम 

शहर में एपीफैनी पर कब्जा और धीरे-धीरे बेचने के मामले में रोजाना एफआईआर दर्ज होने की बात को लेकर चर्चा थी। लोगों को पता था कि इस जमीन पर शहर के पत्रकारों, सफेदपोश, कारोबारी और भूमाफियाओं की नियत खराब है। सिविल लाइंस स्थित नजूल की 1000 करोड़ की जमीन पर कब्जे करने के प्रयास के बाद एपीफैनी की अरबों की जमीन पर आरोपियों के बारे में जानकारी की जाने लगी थी। इस मामले में जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस को जमीन पर हस्तक्षेप करने वाले एक-एक लोगों की जानकारी थी। लेकिन जैसे ही 5 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई तो सभी के अटकलों पर विराम लग गया। 

कब-कब हुआ जमीन पर खेल 

1877 में एपीफैनी कंपाउंड एसपीजी मिशन को बैनामा किया गया। 1945 में लखनऊ डायोसिस ट्रस्ट एसोसिएश को दी गई। 2008 में चर्च आफ इंडिया ट्रस्ट को जमीन लिख दी गई। 2019 में 19 हजार वर्गमीटर खाली जमीन भी बेची गई। कंपाउंड में सलीम बिरयानी का भी 450 वर्गमीटर प्लाट मिला है। कई प्लाटिंग भी हैं।

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