मुहर्रम की पहली मजलिस : कल्बे जवाद ने कहा, कयामत तक जारी रहेगी अजादारी

मुहर्रम की पहली मजलिस : कल्बे जवाद ने कहा,  कयामत तक जारी रहेगी अजादारी

लखनऊ, अमृत विचार। कर्बला के शहीदों के गम में इमामबाड़े सज गए हैं। मजलिसों के फर्श बिछा दिए गए हैं। पुराने शहर में हर तरफ जिक्रे हुसैन की सदायें बलंद हो रही हैं। इमामबाड़ा गुफरानमआब में मौलाना कल्बे जवाद, इमामबाड़ा आगा बाकर में मौलाना मीसम जैदी, मदरसा नाजमिया में मौलाना हमीदुल हसन, अफजल महल में मौलाना आगा रूही और इमामबाड़ा शाहनजफ में मौलाना अली अब्बास खान बड़ी मजलिसों को खिताब कर रहे हैं।

 मुहर्रम की पहली मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना अली अब्बास खान ने कहा कि इंसान को रास्ता दिखाने के लिए अल्लाह ने जमीन पर अपने प्रतिनिधियों को भेजा। उन्होंने कहा कि इंसान दुनिया में रहकर तरक्की के रास्ते पर तेजी से सफ़र कर सकता है लेकिन अगर उसने अल्लाह के भेजे प्रतिनिधि की शिक्षाओं को हासिल नहीं किया तो वह कभी भी अच्छा इंसान नहीं बन सकता। मजलिस से पहले सैय्यद अली शुजा ने दर्द भरा मर्सिया पेश किया।

 अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा सैयद तक़ी साहब जन्नत मआब में मुहर्रम की पहली मजलिस में मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि अल्लाह ने अपने पैगंबर के माध्यम से लोगों को कई आदेश दिए लेकिन किसी भी आदेश में मदद का वादा नहीं किया। जब विलायत देने का समय आया। तो अल्लाह ने कहा हम तुम्हें लोगों की दुश्मनी से बचाएंगे। इससे पता चलता है कि विलायत एक महत्वपूर्ण आदेश था जिसे पैगम्बर मोहम्मद साहब हजरत अली को गदीर के मैदान में अपने हाथों पर उठाकर बड़ी सावधानी से निभा रहे थे।

 विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा आगा होम्यो में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना अख्तर अब्बास ने कहा कि हम कर्बला के जुल्मों को याद रखें लेकिन जरूरी यह भी है कि हम आज के यजीदों को भी न भूलें। फिलीस्तीन में पिछले नौ महीने से जो चल रहा है वह भुलाने के काबिल नहीं है। चालीस लाख लोग बेघर हो गए। अनगिनत लोगों की जानें चली गईं। एक-एक घर से कई-कई लाशें निकलीं। कर्बला का गम हम मनाएं लेकिन आज के आतंकवाद को भी भूलें नहीं।

 इमामबाड़ा गुफरानमआब में मौलाना कल्बे जवाद ने मुहर्रम की पहली मजलिस में कहा कि पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब ने कहा था कि हुसैन हिदायत का चिराग है। उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन की याद में होने वाली अजादारी कयामत तक जारी रहेगी।  इमामबाड़ा आगा बाकर में मौलाना मीसम जैदी ने कहा कि हमारी जाकिरी की मंजिल जिक्रे अहलेबैत है। मदरसा नाजमिया में मौलाना हमीदुल हसन ने कुरान और अहलेबैत शीर्षक से मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि जैसे अहलेबैत मेरे नबी को मिले किसी और नबी को नहीं मिले। उन्होंने कहा कि अजादारी के दुश्मन अहलेबैत के दुश्मन हैं।

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