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Kanpur News: जून की भीषण गर्मी में झुलस गया टमाटर...कीमतों में भी आया उछाल, बरसात बनी मुसीबत
टमाटर की फसल के लिए मुफीद अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस
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कानपुर, अमृत विचार। इस बार नौतपा में पड़ी रिकार्ड तोड़ गर्मी की वजह से टमाटर की फसल खराब हो गई। 30 फीसदी टमाटर की फसल झुलसने की वजह से खराब हुई है। इस वजह से इसकी कीमतों में भी उछाल आया है। स्थानीय टमाटर की खेत से कम आवक और बाहर के टमाटर की देरी से बाजारों में दस्तक हुई है। यही वजह है कि लगभग 15 दिन पहले की तुलना में बाजार में टमाटर के रेट के दाम लगभग तीन गुने पहुंच गए हैं।
मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के पहले सप्ताह तक इस बार नौतपा ने टमाटर को खराब कर दिया। इस बीच कई बार अधिकतम तापमान 45 फीसदी तक रहा। सब्जी विशेषज्ञों के अनुसार टमाटर की फसल पर इस बार इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है।
खेतों में टमाटर जल्द बाजार में आया और इसके बाद आवक में कमी रही। बाजार में कमी होने से टमाटर के दामों में लगभग तीन गुना उछाल हुआ। सीएसए के सब्जी अनुभाग के सस्य वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि इस बार मार्च से जून तक टमाटर की पैदावार को अनुकूल परिस्थिति नहीं मिली। खासतौर जून के पहले सप्ताह में टमाटर की फसल को मौसम से नुकसान पहुंचा है। इसका प्रभाव टमाटर के दामों पर भी पड़ा।
15 फीसदी लतावर्गीय फसल प्रभावित
सब्जियों पर पड़ी गर्मियों की मार पर विशेषज्ञों ने बताया कि इस बार तापमान की अधिकता से खेतों मं लतावर्गीय फसलों पर भी असर पड़ा है। यह फसलें 15 फीसदी तक प्रभावित हुई हैं। टमाटर के बाद सबसे अधिक तरोई, टिंडा, लौकी, करेला व खीरा जैसी फसलें प्रभावित हुई हैं।
सब्जियों का प्रति किलो रेट
टमाटर 90 से 120
आलू 35 से 45
लौकी 40 से 45
भिंडी 60 से 65
घुइयां 75 से 80
तरोई 60 से 65
बरसात बनी मुसीबत
बरसात के मौसम पर विशेषज्ञों ने बताया कि खासतौर पर गंगा कटरी पर होने वाली खेती भी बाढ़ से प्रभावित हो सकती है। इसका असर बाजार में 15 दिन बाद से दिखाई देने लगेगा। यदि इस बीच बाहर से आने वाली सब्जियां बाजार में अधिक मात्रा में पहुंचती है तो कटरी में बोई जाने वाली लतावर्गीय सब्जियों पर असर नहीं होगा। यदि बाहर से आने वाली सब्जियां कम मात्रा में शहर पहुंचती है तो उनके दामों में भी इजाफा हो सकता है।
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