Kanpur: हैलट में शुरू होगी आनुवंशिक रोगों की ओपीडी...अस्पताल से तीन डॉक्टरों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा SGPGI लखनऊ

एसजीपीजीआई में प्रशिक्षण के लिए अस्पताल से तीन डॉक्टरों को भेजा जाएगा लखनऊ

Kanpur: हैलट में शुरू होगी आनुवंशिक रोगों की ओपीडी...अस्पताल से तीन डॉक्टरों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा SGPGI लखनऊ

कानपुर, अमृत विचार। हैलट के जच्चा-बच्चा अस्पताल में आनुवंशिक रोगों की ओपीडी का संचालन शुरू किया जाएगा, ताकि बच्चों में आनुवंशिक रोगों की संभावना को तलाश कर इलाज से निदान किया जा सके। इसके लिए तीन डॉक्टरों को प्रशिक्षण के लिए लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई के डिपार्टमेंट ऑफ जेनेटिक्स में भेजा जाएगा। 29 जुलाई से एसजीपीजीआई में प्रशिक्षण के लिए बैच की शुरुआत होगी। 

हैलट अस्पताल में ऐसे कई बच्चे आते हैं, जो आनुवंशिक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। यह बीमारी बच्चे में माता या पिता से आती है। कई बार नजरअंदाज किए जाने से आनुवांशिक बीमारी गंभीर बन जाती है। स्थिति बिगड़ने के बाद अभिभावक अपने बच्चों को लेकर हैलट अस्पताल आते हैं। इसे देखते हुए आनुवंशिक बीमारियों से बच्चों को बचाने और उनका समय रहते इलाज शुरू करने के लिए ओपीडी संचालन का फैसला हुआ है। 

इसके लिए बाल रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग और मेडिसिन विभाग से एक-एक डॉक्टर को लखनऊ के पीजीआई में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया जाएगा किस तरह इसका पता लगाया जाए कि गर्भ में पल रहे बच्चे को आगे चलकर आनुवंशिक रोग हो सकता है या नहीं। 

अगर हो सकता है तो उसका इलाज उसी समय शुरू करना है, ताकि बच्चा आगे चलकर उस अनुवांशिक बीमारी से न जूझे। कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनका पूर्ण रूप से इलाज अभी तक नहीं है, ऐसे मामलों में गर्भवती शुरू में आती हैं तो सुरक्षित गर्भपात की सलाह दी जाएगी। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि आनुवंशिक रोगों की जांच के लिए गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग की जाएगी। शुरू में जांच के लिए सैंपल पीजीआई भेजे जाएंगे। मरीजों की संख्या बढ़ने पर कोशिश की जाएंगी कि कॉलेज में लैब शुरू हो।  

यह रोग ठीक होने की रहती संभावना 

आनुवंशिक रोगों में उच्च रक्तचाप, गठिया, मधुमेह, मोटापा समेत आदि रोग माता-पिता से मिलता है, इनके इलाज के माध्यम से ठीक होने की संभावना रहती है। लेकिन थैलीसीमिया, हीमोफीलिया, डाउन सिंड्रोम जैसे रोगों का पूर्ण रूप से इलाज अभी नहीं है।

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