Kanpur Dehat: जिले में झमाझम बारिश से राहत, दस दिन में बारह डिग्री गिरा तापमान, जगह-जगह कीचड़ व जलभराव
कानपुर देहात, अमृत विचार। बारिश के बाद मौसम में बदलाव आ गया है। पिछले दस दिनों में करीब 12 डिग्री तापमान गिरने से लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिली है। जिससे बुखार, डायरिया, त्वचा समेत अन्य रोगियों की संख्या में भी कमीं आई है। मौसम विभाग ने अभी और बारिश की संभावना जताई है।
जून मध्य माह में गर्मी ने रिकार्ड तोड़ दिया था और अधिकतम तापमान करीब 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। लोगों को सूर्य की तपिश के साथ लू और उमस से जूझना पड़ रहा था। बीते सोमवार से मौसम में परिवर्तन हुआ और बारिश शुरू हो गई। पिछले तीन-चार दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से लोगों को काफी राहत मिली है।
शनिवार को भोर पहर हुई झमाझम बारिश से जगह-जगह जलभराव और कीचड़ से समस्या हुई। मूसानगर क्षेत्र के क्योंटरा बांगर गांव की सड़क में कीचड़ से होकर लोगों को आवागमन करना पड़ा। गांव के अवधेश, जयप्रकाश, रामशंकर, जगत सिंह, महेंद्र आदि ने बताया कि सीजन की पहली बारिश से ही गांव की सड़क में जगह-जगह जलभराव व कीचड़ जमा हो गया है।
इससे पैदल निकलना दुश्वार हो गया है। कीचड़ में फिसलने से दुपहिया वाहन सवार गिरकर चुटहिल हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि दोनों ओर जल निकासी के लिए नाली निर्माण न होने से पानी रास्ते पर बहता है। इससे पक्की सड़क में गड्ढे हो गए है। इस बावत ग्राम सचिव राजेश कुमार यादव ने बताया कि कर्मचारी लगा कर पानी निकास के लिए व्यवस्था कराई जाएगी।
शनिवार को बारिश के चलते अधिकतम तापमान 33.4 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 25.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दक्षिण-पश्चिमीं हवाएं करीब छह किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती रहीं। सीएसए कानपुर के मौसम विभाग ने आगामी पांच दिन तेज हवाओं के साथ बारिश होने की संभावना जताई है।
कमर तक गंदा पानी भरने से आवागमन बाधित
रूरा कस्बे में चल रहे रेलवे ओवरब्रिज निर्माण को लेकर अक्तूबर 2023 को रेलवे ने केबिन क्रासिंग को बंद कर दिया था। वैकल्पिक मार्ग के तौर पर रेलवे की पुरानी पुलिया को प्रयोग में लाया जा रहा है।, लेकिन पुलिया के पास से ही कस्बे के दोनों तरफ का गंदा व बरसाती पानी के लिए नाला बना हुआ है।
इस पर नगर पंचायत द्वारा पंपिंग सेट लगाकर पानी की निकासी की जा रही है। शनिवार की सुबह हुई जोरदार बारिश से अंडरपास में कमर के ऊपर से गंदा पानी भर गया। जिससे आवागमन प्रभावित हो गया। आठ माह के बाद भी वैकल्पिक मार्ग पर बह रहे नाले के पानी की निकासी को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे लोगों को कीचड़ युक्त गंदे पानी से होकर निकलने से मजबूर होना पड़ रहा है।