लखनऊ: स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर पॉल्यूशन की रिपोर्ट जारी, वायू प्रदूषण से हर साल 5 लाख लोगों की जाती है जान

लखनऊ: स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर पॉल्यूशन की रिपोर्ट जारी, वायू प्रदूषण से हर साल 5 लाख लोगों की जाती है जान

लखनऊ, अमृत विचार। नवीनतम स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2024 रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक आंकड़े बताते है कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) होने का प्रमुख कारण वायु प्रदूषण है। वायु  प्रदूषण के कारण दुनिया भर में सीओपीडी से अनुमानित 5 लाख मौतें होती हैं, जो वैश्विक स्तर पर सीओपीडी से होने वाली सभी मौतों का 13 प्रतिशत है। दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर से 2021 में होने वाली लगभग 19 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने दी है।

डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि वायु प्रदूषण श्वसन संक्रमण के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, विशेष रूप से बच्चों में। उन्होंने बताया कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टि व पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से साल 2021 में दुनियाभर में अनुमानित 5 लाख लोगों की मौत हुई। जिसका कारण वायू प्रदूषण रहा है। जिसमे से लगभग 50 प्रतिशत मौतें (लगभग 2.5 लाख मौतें) भारत में हुईं, जो भारत में श्वसन स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण प्रभाव को रेखांकित करता है। 

भारत में फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण वायु प्रदूषण है। 2021 में वैश्विक स्तर पर फेफड़ों के कैंसर से होने वाली लगभग 5 में से 1 मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई थी, जिसमें पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 प्रदूषण के उच्च स्तर का रहा है। जो कि फेफड़ों पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव को दर्शाती है।

श्वसन संक्रमण (एल.आर.आई.) से भारत में हर साल बहुत से बच्चों की जान जाती है। साल 2021 में, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में एलआरआई से होने वाली सभी मौतों में से 40 प्रतिशत से अधिक के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार रहा है।

डा. सूर्यकान्त ने बताया कि वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अन्य दुष्प्रभाव हैं, जिसमें श्वसन की समस्याओं में दमा, गले में दर्द, निमोनिया, एम्फायासीमा, ब्रोंकाइटिस आदि। हृदय पर प्रभाव से लोगों में ब्लड़ प्रेशर तथा हार्ट अटैक के खतरे बढ़ना। फैक्टरी के पास/ज्यादा प्रदूषण वाले इलाके में रहने वालों में आंखे लाल होना, जलन होना, पानी ज्यादा आने व ड्राईनेस होना। मस्तिष्क पर प्रभाव से मानसिक स्थितियों में भी बदलाव, चिड़चिड़ापन, बेचैनी और घबराहट जैसी दिकक्तें। लिवर व पेट पर असर से लिवर में दिक्कत होना, गैस बनना, पेट में जलन जैसी परेशानी होना। बालों व त्वचा पर प्रभाव से बालों का टैक्सचर खराब होना, बाल गिरना और डैन्ड्राफ की समस्या, त्चचा पर झुर्रिया, एग्जिमा, स्किन एलर्जी, रैशेज व कैंसर की संभावना अधिक होना। पुरूष व महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। मिस कैरिज प्री मेच्योर डिलिवरी और बच्चों का वजन कम होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में फेफडे़ की कार्य क्षमता और मस्तिष्क के विकास में बाधा, अस्थमा ब्रोंकाईटिस, सांस की तकलीफ हो जाती है। प्रदूषित वायु से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

पूर्व अध्यक्ष, इंडियन कालेज ऑफ एलर्जी एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि वायु प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोत परिवहन, उद्योग, अत्याधिक जंगलों का कटाव, कम वृक्षारोपड, बायोमास ईधन एवं धूम्रपान है। वायु प्रदूषण के दो प्रकार- प्राथमिक वायु प्रदूषक, माध्यमिक वायु प्रदूषक। वायु प्रदूषण के प्रमुख वर्ग पार्टिक्यूलेट सामग्री, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, ओजोन। ओजोन जो कि समताप मण्डल में होता है जो ऊपरी वायुमण्डल में पराबैगनी किरणों को रोकता है, मानव निर्मित प्रदूषक इसे नुकसान पहुँचा सकते है। 

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