Kanpur सेंट्रल से प्यासी गुजर रहीं ट्रेनें, यात्रियों के भी सूख रहे हलक...60 लाख की जगह एक करोड़ लीटर पहुंची पानी की खपत, 5 टंकियां पड़ रहीं नाकाफी

250 ट्रेनों और 2700 कोचों को बमुश्किल मिल पाता पानी

Kanpur सेंट्रल से प्यासी गुजर रहीं ट्रेनें, यात्रियों के भी सूख रहे हलक...60 लाख की जगह एक करोड़ लीटर पहुंची पानी की खपत, 5 टंकियां पड़ रहीं नाकाफी

कानपुर, अमृत विचार। सेंट्रल स्टेशन पर पानी की खपत 60 लाख लीटर से बढ़कर  एक करोड़ लीटर पहुंच गई है। लेकिन संसाधन पहले जितने ही हैं। इससे भीषण गर्मी में पानी को तरसना पड़ रहा है। अधिकतर ट्रेनें प्यासी गुजर रही हैं तो यात्रियों के भी हलक सूख रहे हैं। 

एक साथ दो-तीन ट्रेनें आने पर नलों की टोटियों पर प्यास बुझाने के लिए यात्रियों की मारामारी कभी भी देखी जा सकती है। प्लेटफार्मों पर लगे 18 वाटर कूलर, 461 टोटियों के साथ 250 ट्रेनों और उनके 2700 कोचों को भी सेंट्रल स्टेशन पर पानी दिया जाता है। लेकिन इसके लिए पांच टंकियां नाकाफी साबित हो रही हैं। अक्सर ट्रेनें बगैर पानी दिए आगे के स्टेशनों को रवाना कर दी जाती हैं। 

रेलवे अधिकारियों के अनुसार पिछली गर्मी में पानी का लोड सिर्फ 60 लाख लीटर प्रतिदिन था। यह जरूरत आसानी से पूरी हो जाती थी। अब पानी की खपत बढ़कर एक करोड़ लीटर प्रतिदिन पहुंच गई है। पहले कुछ निर्धारित ट्रेनें थीं, जिन्हें पानी देना पड़ता था। अब हर रूट की ट्रेन जब सेंट्रल पहुंचती है तो पानी की डिमांड होती है। मौजूदा समय में एसएसएलएस ग्रुप के पास ट्रेनों में पानी देने का जिम्मा है। 

कंपनी के कर्मचारियों का कहना है कि ट्रेनों को डिमांड के हिसाब से पानी दिया जा रहा है। जब नहीं होता है तो ट्रेन बगैर पानी के  चली जाती है। पानी की खपत बढ़ी है। इस समय 37-40 ट्रेनों की रोज सफाई होती है, 250 ट्रेनों को पानी दिया जाता है। कोच के हिसाब से देखें तो प्रतिदिन 27 से 28 सौ कोचों में पानी दिया जा रहा है। 

कई बार सभी ट्रेनों को पर्याप्त पानी नहीं दे पाते हैं। पांच टंकियों से जो पानी आता है, उसी से प्लेटफार्मों को भी आपूर्ति है।  कार्यालय और आवासीय कालोनी को भी पानी जाता है। यही कारण है कभी ट्रेनों को पूरा पानी तो कभी आधा ही दिया जाता है। पानी न होने पर अक्सर ट्रेन बगैर पानी के चली जाती हैं।

छठी टंकी तैयार, कनेक्शन का इंतजार 

सेंट्रल स्टेशन पर अभी तक पांच टंकियों से पानी की आपूर्ति होती है। अब छठी टंकी तैयार है, उसके लिए नई लाइन डाली जानी है। जिस पर काम चल रहा है। अधिकारियों के अनुसार नई लाइन पड़ने पर पानी की दिक्कत पूरी तरह खत्म हो जाएगी। जरूरत के अनुसार पानी की आपूर्ति होने लगेगी। 

सुबह-शाम 5 से 9 बजे तक ज्यादा खपत 

रेलवे अधिकारियों के अनुसार सुबह और शाम को 5 से 9 बजे तक ट्रेनों में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है। इस समय यात्री नित्यक्रिया में पानी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और इसी बीच ट्रेनों में पानी भरा जाता है। दिन में सुबह और शाम की तुलना में खपत कम है।  

सेंट्रल पर पानी की मांग बढ़ी है। गर्मी के कारण पानी की जरूरत बढ़ना  स्वाभाभिक है। इसे देखते हुए एक टंकी से और कनेक्शन कराया जा रहा है। जिस पर काम चालू है। एक करोड़ लीटर की मांग तो नहीं है, मगर ट्रेनों की संख्या बढ़ने पर पानी की खपत ज्यादा हो रही है।- संतोष त्रिपाठी, एसीएम, कानपुर सेंट्रल स्टेशन।

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