प्रतापगढ़ : संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए 'संस्कृत से संस्कृति संरक्षण की पहल'

संस्कृत को जनसामान्य की भाषा बनाने के लिए विद्यार्थियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

प्रतापगढ़ : संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए 'संस्कृत से संस्कृति संरक्षण की पहल'

प्रतापगढ़ अमृत विचार : भारत की पुरातन शिक्षा व्यवस्था में संस्कृत संस्कृति की परिचायक रही है। हमारे देश के सभी वेदों,पुराणों एवं ऋचाओं के निर्माण में न केवल संस्कृत भाषा की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है बल्कि इनके अध्ययन- अध्यापन में भी संस्कृत का ही प्रयोग सर्वाधिक किया गया।

ऐसे में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सराय आनादेव के विज्ञान शिक्षक अनिल कुमार निलय द्वारा संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान हेतु 'संस्कृत से संस्कृति संरक्षण' नामक ग्रीष्मकालीन पहल की गई। अभी यह आगे भी चलती रहेगी। इस पहल के माध्यम से संस्कृत को पुनः जनसामान्य और आम बोलचाल की भाषा बनाने हेतु प्रयास किया जा रहा है।

इसके लिए विद्यार्थियों में संस्कृत भाषा के प्रति लगाव एवं प्रयोग में सहजता व दक्षता हेतु उन्हें संस्कृत भाषा सम्बन्धी चार दिवसीय ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा की मूलभूत जानकारी जैसे वचन,लकार, पुरूष,विभक्ति,धातु रूप,शब्द रूप के साथ ही साथ वाक्य विन्यास एवं संस्कृत में रूपांतरण का अभ्यास कराया गया।

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